चंद्रबाबू नायडू (डिजाइन फोटो)
धर्मस्थल के प्रसाद में मिलावट गंभीर चिंता का विषय होने के अलावा भक्तों की आस्था से खिलवाड़ है। आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने खुले आम आरोप लगाया कि तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसादम में पशु चर्बी की मिलावट की जाती रही। नायडू ने कहा कि उन्हें 23 जुलाई को लैब रिपोर्ट मिली थी। टीटीडी के नए अधिशासी अधिकारी (ईओ) की जांच में मिलावट की पुष्टि हुई।
इसके बाद विजिलेंस से जांच कराई गई तो सभी शिकायतें सही पाई गईं। विस्तृत जांच के बाद टीटीडी के ईओ ने पांचों सप्लायर्स से करार खत्म कर दिए जिन्हें बोर्ड के पूर्व प्रशासन ने नियुक्त किया था। प्रसादम की पवित्रता बनाए रखने के लिए लैब टेस्ट के साथ ही सख्त निगरानी बढ़ाई गई।
इसके जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि नायडू ने राजनीति के लिए धर्म का सहारा लिया हो। मैं अलग धर्म से ताल्लुक रखता हूं इसलिए नायडू और उनकी पार्टी मुझे और मेरे परिवार को बदनाम करने की कोशिश करती है। प्रसाद की शुद्धता बनाए रखना टीटीडी देवस्थानम का काम है, मेरा नहीं।
यह भी पढ़ें- अरविंद केजरीवाल को क्या सूझी, संघ प्रमुख भागवत से कर डाले 5 सवाल
बोर्ड के दोनों पूर्व चेयरमैन वाई वी सुब्बा रेड्डी और भूमा करुणाकर रेड्डी ने जांच का स्वागत किया है। उन्हें भरोसा है कि उनकी निगरानी में कोई गलती नहीं हुई। घी के टैंकर जांचने की जो प्रक्रिया वर्षों से चली आ रही है, वही अब भी चल रही है। मैंने भी न्यायिक जांच की मांग की है। मेरी सरकार ने कोई गलती नहीं की थी। मंदिर की परंपरा और पवित्रता हमारे लिए महत्वपूर्ण है। नेता चाहे जो बयान दें, प्रसाद में पशु चर्बी की मिलावट का मामला संवेदनशील और आस्था को गहरी चोट पहुंचाने वाला है।
मिलावट करनेवाले लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ करते हैं। पिछले दिनों कई नामी कंपनियों के मसाले में सीसे (लेड क्रोमेट) और हानिकारक तत्वों की मिलावट पाई गई थी। 2016 में संसद में बताया गया था कि हर 3 में से 2 भारतीय ऐसे मिलावटी दूध का सेवन करते हैं जिसमें डिटर्जेंट, कास्टिक सोडा, यूरिया और व्हाइटनर की मिलावट रहती है। त्यौहारों पर नकली खोवा बाजार में आ जाता है।
मवेशियों का दूध बढ़ाने के लिए उन्हें आक्सीटोसीन का इंजेक्शन लगाया जाता है। ऐसे मवेशी का दूध मानव स्वास्थ्य के लिए घातक होता है। फलों और सब्जियों को ताजा व चमकदार दिखाने के लिए उन पर केमिकल लगाया जाता है। केले भी घातक रसायन से पकाए जाते हैं। सरकार और उसके विभाग इस पर ध्यान क्यों नहीं देते?
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा