एन चंद्रबाबू नायडू व पीएम नरेन्द्र मोदी (सोर्स- सोशल मीडिया)
Chandrababu Nayudu: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को बड़ी राहत मिली है। विजयवाड़ा की ACB कोर्ट ने फाइबरनेट मामले में उन्हें बड़ी कानूनी राहत देते हुए क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) द्वारा दायर भ्रष्टाचार के मामले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने नायडू और इस मामले में सभी अन्य आरोपियों को बरी कर दिया।
फाइबरनेट मामला उस समय का है जब चंद्रबाबू नायडू विपक्ष में थे और राज्य में YSRCP सरकार सत्ता में थी। तत्कालीन मैनेजिंग डायरेक्टर मधुसूदन रेड्डी ने शिकायत की थी कि 2014 और 2019 के बीच फाइबरनेट कॉर्पोरेशन में टेंडर नियमों का उल्लंघन किया गया।
शिकायत में उन्होंने यह भी कहा कि टेंडर नियमों के उल्लंघन से राज्य के खजाने को नुकसान हुआ। CID ने कथित अनियमितताओं की जांच शुरू की थी। आरोप था कि टेंडर नियमों का उल्लंघन करके सॉफ्टवेयर कंपनियों को टेंडर दिए गए, जिससे सरकार को लगभग 114 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
चार्जशीट में चंद्रबाबू नायडू को आरोपी A-25 के रूप में नामित किया गया था। उनके अलावा तत्कालीन फाइबरनेट चेयरमैन वेमूरी हरिकृष्णा, MD के. संबाशिव राव, टेरासॉफ्ट कंपनी के डायरेक्टर तुम्माला गोपालकृष्ण और मुंबई और दिल्ली की कुछ सॉफ्टवेयर कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों के नाम भी शामिल थे।
ACB कोर्ट ने पाया कि CID द्वारा दायर मामले में यह साबित करने के लिए अपर्याप्त सबूत थे कि टेंडर किसी को वित्तीय लाभ पहुंचाने के इरादे से दिए गए थे। इसके आधार पर कोर्ट ने कहा कि मामले को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता और सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के समर्थक इस कोर्ट के फैसले से बहुत खुश हैं। उनका दावा है कि यह मामला राजनीतिक बदले की भावना से दायर किया गया था। तेलुगु देशम पार्टी के नेताओं ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि आखिरकार सच्चाई की जीत हुई है।
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ACB कोर्ट के इस फैसले से फाइबरनेट मामले से जुड़े पूरे विवाद का अंत हो गया है। फाइबरनेट प्रोजेक्ट एक सरकारी योजना थी जिसका उद्देश्य सभी घरों को इंटरनेट और टेलीफोन सेवाएं प्रदान करना था। आपको बता दें कि केन्द्र की NDA सरकार में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी पीएम मोदी के ‘दाहिने हाथ’ की तरह है। क्योंकि उसके 16 सांसद हैं। जो NDA में बीजेपी के बाद सबसे ज्यादा है।