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निशानेबाज: भीख मांगना बहुत बड़ी समस्या, दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया

एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि चौराहों व मंदिरों के पास भीख मांगने वाले भिखारी महीने 90,000 रुपए कमाते हैं। साल भर में उनकी कमाई 11 लाख रुपए हो जाती है। निशानेबाज ने इस पर निशाना साधा है। आप भी आनंद लीजिए।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: Oct 29, 2024 | 01:38 PM

(डिजाइन फोटो)

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नवभारत डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज उत्तरप्रदेश में किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि चौराहों और मंदिरों के पास भीख मांगने वाले भिखारी हर महीने 90,000 रुपए कमाते हैं। साल भर में उनकी कमाई 11 लाख रुपए हो जाती है। भिखारियों के पास स्मार्ट फोन और पैन कार्ड भी है। इस तरह अनेक मध्यमवर्गीय लोगों की तुलना में भिखारी ज्यादा मालदार हैं।’’

हमने कहा, ‘‘भिखारी या याचक हमेशा से रहते आए हैं। रामायण में भी उल्लेख है कि राम-सीता के विवाह से हर्षित राजा दशरथ ने सभी भिखारियों को इतनी अधिक संपत्ति दान कर दी कि उन्हें भीख मांगने की जरूरत ही नहीं रह गई। इसके लिए लिखा गया है- जाचक सकल अजाचक कीन्हें! यूपी सरकार भी अब ऐसी कोशिश कर रही है कि किसी को कटोरा लेकर भीख न मांगनी पड़े।”

हमने कहा, ‘‘इसके लिए महानगर पालिका, पुलिस विभाग, जिला नागरी विकास विभाग, समाजकल्याण विभाग, महिला कल्याण विभाग व जिला प्रशासन की संयुक्त टीम तैयार की गई है जो राजधानी लखनऊ के पॉश इलाके हजरतगंज, अवध स्क्वेयर, चारबाग स्टेशन, लालबत्ती, इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान जैसे स्थानों पर भिखारियों के जमावड़े पर कार्रवाई कर रही है तथा भिखारियों और उसके परिवारों का भीख मांगना छुड़वाकर उनके पुनर्वसन का काम कर रही है ताकि वे इज्जत की जिंदगी जी सकें।’’

यह भी पढ़ें- निशानेबाज: चाहे न्याय की देवी या फिर गांधारी, आंख पर पट्टी बांधना पड़ता है भारी

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, भीख मांगना भी एक पेशा है। जिसे मुफ्तखोरी की आदत पड़ गई वह मेहनत करना नहीं चाहता। भिखारी को गंदे कपड़े पहनना, फुटपाथ पर सोना, हाथ मुंह धोने या नहाने से दूर रहना अच्छा लगता है। यह उसकी जीवनशैली है। कोरोना से अच्छे भले लोग चल बसे लेकिन उस महामारी से एक भी भिखारी नहीं मरा।”

पड़ोसी ने कहा, ‘‘कोरोना भी मच्छर-मक्खी और कूड़े कचरे के बीच रहनेवाले गंदे भिखारियों से डर गया। जो वृद्ध, अपंग या नेत्रहीन हैं उनकी मजबूरी समझ में आती है लेकिन हट्टेकट्टे लोग जब बेशर्मी से भीख मांगते हैं तो वे समाज का शोषण करते हैं। कुछ भीख मांगनेवाले अच्छे कपड़े देने पर भी नहीं पहनते क्योंकि अपने को दीनहीन और दरिद्र दिखाने पर ही उन्हें भीख मिलती है। कुछ का खानदानी पेशा भीख मांगना रहता है। ऐसे लोग कभी सुधर नहीं सकते।’’

हमने कहा, ‘‘ऐसे बेईमान लोग भी भिखमंगे से कम नहीं होते जो हमेशा उधार मांगकर काम चलाते हैं और कभी किसी के पैसे नहीं लौटाते। वैसे नेता भी तो जनता से वोटों की भीख मांगते हुए कहते हैं- आप हमारे माई-बाप हैं, हमें चुनकर दीजिए।’’

लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा

Begging is a big problem the donor is only ram the whole world is a beggar

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Published On: Oct 29, 2024 | 01:38 PM

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