पुष्पक विमान (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज पौराणिक काल में विमान यात्रा शतप्रतिशत सेफ थी। कोई भी पैसेंजर विमान दुर्घटनाग्रस्त नहीं होता था। तब एयर मेंटनेंस की क्वालिटी काफी ऊंचे दर्जे की रही होगी। भारत के उस गौरवशाली अतीत के बारे में सोचिए।’ हमने कहा, ‘जिस बात का ठोस वैज्ञानिक प्रमाण न मिले वह मायथोलाजी या गल्पकथा में आती है। विमान का आविष्कार अमेरिका के ऑरविल राइट और बिल्वर राइट बंधुओं ने किया।
अमेरिका की एमिलिया एमहर्स्ट ऐसी साहसी महिला थी जिसने बगैर रेडियो संपर्क के छोटे विमान से एटलांटिक महासागर पार किया था। यदि आप अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी के गोडार्ड स्पेस म्यूजियम में जाएं तो वहां आपको इन सब बातों के अलावा एवियेशन की पूरी हिस्ट्री मिल जाएगी। वहां अपोलो मिशन के रॉकेट व स्पेसशिप भी रखे हैं जो अंतरिक्ष में गए थे। अंतरिक्ष यात्रियों के पहने स्पेस सूट भी वहां देखे जा सकते हैं।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, आप विदेश से प्रभावित मालूम पड़ते हैं। आपको भारत की प्राचीन संस्कृति, परंपरा और विज्ञान के प्रति आस्था रखनी चाहिए। क्या आपको पता नहीं कि दशमलव प्रणाली, बीजगणित और शून्य का आंकड़ा भारत ने ही दुनिया को दिया था।
अब हिंदुत्व पर अभिमान करते हुए हमारी बात सुनिए। रावण के पास पुष्पक विमान था जो उसने अपने सौतेले भाई कुबेर से छीना था। रावण इसी विमान में बैठकर लंका से कैलाश पर्वत शिवजी का दर्शन करने जाता था। नाशिक के पास पंचवटी से वह सीता का हरण कर पुष्पक विमान से लंका ले गया था। रास्ते में जटायु नामक विशालकाय गिद्ध ने उस पर हमला किया था जिसके पंख काटकर वह आगे बढ़ गया। यह बर्ड हिट का पहला मामला था आजकल के विमान को गिराने के लिए एक छोटी सी चिड़िया का टकराना काफी होता है। रावण के मरने के बाद भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, सुग्रीव, विभीषण और पूरी वानर सेना पुष्पक विमान से अयोध्या आए थे। पुष्पक विमान में एवियेशन पेट्रोल या एटीएफ नहीं लगता था वह मन की शक्ति से चलता था।
द्वापर युग में जब श्रीकृष्ण पांडवों के पास गए हुए थे तब द्वारकापुरी पर शाल्व ने अपनी एयरफोर्स से अटैक कर दिया था और बहुत तबाही मचाई थी। बाद में श्रीकृष्ण ने शाल्व का वध कर दिया था। यह कथा श्रीमद भागवत में पढ़ लीजिए।’ भारत में स्पेस साइंस भी था। मुनि विश्वामित्र ने अपने तपोबल से राजा त्रिशंकु को जीते-जी सदेह स्वर्ग भेजा था। देवताओं ने उसे एंट्री नहीं दी तो वह बीच में अटक कर रह गया।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा