Hindi news, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest Hindi News
X
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • धर्म
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • करियर
  • टेक्नॉलजी
  • हेल्थ
  • ऑटोमोबाइल
  • वीडियो
  • चुनाव

  • ई-पेपर
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • राजनीति
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • क्राइम
  • नवभारत विशेष
  • मनोरंजन
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़
  • वायरल
  • अन्य
    • ऑटोमोबाइल
    • टेक्नॉलजी
    • करियर
    • धर्म
    • हेल्थ
    • टूर एंड ट्रैवल
    • वीडियो
    • फोटो
    • चुनाव
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • क्राइम
  • लाइफ़स्टाइल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • राजनीति
  • बिज़नेस
  • ऑटोमोबाइल
  • टेक्नॉलजी
  • हेल्थ
  • धर्म
  • वेब स्टोरीज़
  • करियर
  • टूर एंड ट्रैवल
  • वीडियो
  • फोटो
  • चुनाव
In Trends:
  • Bihar Assembly Election 2025 |
  • Diwali 2025 |
  • Ind vs Aus |
  • ICC Women’s Cricket World Cup |
  • Weather Update |
  • Share Market
Follow Us
  • वेब स्टोरीज
  • फोटो
  • विडियो
  • फटाफट खबरें

नवभारत विशेष: अब पारंपरिक चिकित्सा की बढ़ती प्रासंगिकता, अरबों लोगों के लिए बनी जरूरी स्वास्थ्य सेवा

Ayurvedic Medicine: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार इसके 88 प्रतिशत सदस्य देशों-194 देशों में से 170 में पारंपरिक चिकित्सा का प्रचलन है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Oct 22, 2025 | 01:50 PM

पारंपरिक चिकित्सा की बढ़ती प्रासंगिकता (सौ. डिजाइन फोटो)

Follow Us
Close
Follow Us:

 

नवभारत डिजिटल डेस्क: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार इसके 88 प्रतिशत सदस्य देशों-194 देशों में से 170 में पारंपरिक चिकित्सा का प्रचलन है। विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में, यह चिकित्सा प्रणाली अपने सुलभ और किफायती सेवा के कारण अरबों लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा का प्राथमिक रूप बनी हुई है। तथापि, इसका महत्व उपचार आगे बढ़कर जैव विविधता संरक्षण, पोषण सुरक्षा और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने तक विस्तृत है।

व्यापारिक रुझान दिखाते हैं कि लोग इसे तेजी से अपना रहे हैं। विश्लेषकों का अनुमान है कि वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा बाजार 2025 तक 10 से 20 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर के साथ 583 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। चीन का पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र 122।4 अरब डॉलर, ऑस्ट्रेलिया का हर्बल औषधि उद्योग 3।97 अरब डॉलर और भारत का आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिग्पा एवं होम्योपैथी (आयुष) क्षेत्र 43।4 अरब डॉलर के मूल्य का है। यह विस्तार स्वास्थ्य सेवा दर्शन में एक मूलभूत बदलाव को दर्शाता है। प्रतिक्रियात्मक उपचार मॉडल से सक्रिय, निवारक दृष्टिकोणों की ओर, जो केवल लक्षणों के बजाय मूल कारणों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

भारत का आयुर्वेदिक परिवर्तन

भारत के पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय परिवर्तन आया है। 92,000 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों वाले आयुष उद्योग का एक दशक से भी कम समय में लगभग आठ गुना विस्तार हुआ है। विनिर्माण क्षेत्र का राजस्व 2014-15 के 21,697 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्तमान में 1।37 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जबकि सेवा क्षेत्र ने 1।67 लाख करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है। भारत अब 150 से ज्यादा देशों को 1।54 अरब डॉलर मूल्य के आयुष और हर्बल उत्पादों का निर्यात करता है और आयुर्वेद को कई देशों में एक चिकित्सा पद्धति के रूप में औपचारिक मान्यता मिल रही है। यह वैश्विक मंच पर आर्थिक अवसर और सॉफ्ट पावर, दोनों का प्रतिनिधित्व करता है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (2022-23) द्वारा आयुष पर किए गए पहले व्यापक सर्वेक्षण से लगभग सार्वभौमिक जागरूकता का पता चलता है ग्रामीण क्षेत्रों में 95 प्रतिशत और शहरी केंद्रों में 96 प्रतिशत। पिछले वर्ष आधी से ज्यादा आबादी ने आयुष प्रणालियों का उपयोग करने की जानकारी दी थी और आयुर्वेद कायाकल्प और निवारक देखभाल के लिए पसंदीदा विकल्प के रूप में उभरा है।

वैज्ञानिक मान्यता, वैश्विक विस्तारः

भारत ने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान और केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद सहित कई संस्थानों के माध्यम से अनुसंधान में महत्वपूर्ण निवेश किया है। ये संस्थान नैदानिक सत्यापन, औषधि मानकीकरण और एकीकृत देखभाल मॉडल विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ जोड़ते हैं। आयुष मंत्रालय की अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना के माध्यम से भारत की वैश्विक आयुर्वेद पहुंच ने अभूतपूर्व स्तर हासिल किया है। भारत ने 25 द्विपक्षीय समझौतों और 52 संस्थागत साझेदारियों पर हस्ताक्षर किए हैं, 39 देशों में 43 आयुष सूचना प्रकोष्ठ स्थापित किए हैं और विदेशी विश्वविद्यालयों में 15 शैक्षणिक विभागों की स्थापना की है। भारत में डब्लूएचओ वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र की स्थापना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

आयुर्वेद का मूल दर्शन –

शरीर और मन, मानव और प्रकृति, उपभोग और संरक्षण के। बीच संतुलन समकालीन चुनौतियों के लिए प्रासंगिक समाधान प्रस्तुत करता है। जहां एक ओर दुनिया जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों और जलवायु परिवर्तन से जूझ रही है, वहीं आयुर्वेद एक ऐसी रूपरेखा प्रदान करता है, जो व्यक्तिगत और पृथ्वी के स्वास्थ्य, दोनों का समाधान करने में सक्षम है। भारत वैश्विक स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा को मुख्यधारा में लाने के प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है।

लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा

According to the world health organization report traditional medicine is prevalent in 170 countries

Get Latest   Hindi News ,  Maharashtra News ,  Entertainment News ,  Election News ,  Business News ,  Tech ,  Auto ,  Career and  Religion News  only on Navbharatlive.com

Published On: Oct 22, 2025 | 01:50 PM

Topics:  

  • Ayurvedic Herb
  • Ayurvedic Medicine
  • Ayushman Bharat Scheme

सम्बंधित ख़बरें

1

दीपावली के बाद कहीं खराब न हो जाए आपका हाजमा, आयुर्वेदिक उपायों के जरिए रखें सेहत का ख्याल

2

पेट की हर समस्या का समाधान, ईसबगोल का इस तरीके से करें सही इस्तेमाल

3

आयुर्वेद में कई बीमारियों के लिए रामबाण है पुष्करमूल, जानिए सेवन करने का तरीका

4

देश में यहां स्थित है भगवान धनवंतरि का एकमात्र मंदिर, सिर्फ धनतेरस पर 5 घंटे के लिए खुलते है कपाट

Popular Section

  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़

States

  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्यप्रदेश
  • दिल्ली NCR
  • बिहार

Maharashtra Cities

  • मुंबई
  • पुणे
  • नागपुर
  • ठाणे
  • नासिक
  • अकोला
  • वर्धा
  • चंद्रपुर

More

  • वायरल
  • करियर
  • ऑटो
  • टेक
  • धर्म
  • वीडियो

Follow Us On

Contact Us About Us Disclaimer Privacy Policy
Marathi News Epaper Hindi Epaper Marathi RSS Sitemap

© Copyright Navbharatlive 2025 All rights reserved.