एकादशी व्रत की शुरुआत कब करें (सौ.सोशल मीडिया)
Ekadashi Vrat Niyam: हिन्दू धर्म में एकादशी का व्रत एक बहुत महत्वपूर्ण और श्रेष्ठ व्रत है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं और जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हर माह में दो एकादशी व्रत आते हैं। एकादशी व्रत के लिए कुछ जरूरी नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना बहुत जरूरी होता है। इसके बिना व्रत को पूरा नहीं माना जाता है, इसलिए यदि आप एकादशी व्रत की शुरुआत करने के बारे में सोच रहे हैं, तो इसके लिए आपको शुभ दिन और नियमों के बारे में पता होना चाहिए ।
एकादशी व्रत शुरू करने के लिए सबसे उत्तम दिन मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को माना जाता है, जिसे उत्पन्ना एकादशी कहते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी को ही देवी एकादशी उत्पन्न हुई थीं।
यही वजह है कि एकादशी व्रत को प्रारंभ करने के लिए इस दिन को सबसे शुभ माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार देवी एकादशी मुर राक्षस का वध करने के लिए प्रकट हुई थीं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एकादशी का व्रत चार प्रकार से रखा जाता है। इनमें से किसी भी तरह से एकादशी का व्रत कर सकते हैं। लेकिन जिस भी तरीके से व्रत का संकल्प लिया उसे पूरा अवश्य करें।
शास्त्रों के मुताबिक, जलाहर में सिर्फ पानी ग्रहण कर के एकादशी का व्रत रखा जाता है। एक बार जलाहरी व्रत का संकल्प लेने के बाद उसे पूरा किया जाता है।
क्षीरभोजी एकादशी व्रत यानी दूध या दूध से बने उत्पादों का सेवन करके किया जाता है। एकादशी व्रत के दिन जातक दूध या दूध से बनी चीजों का ही सेवन करते हैं, इसे ही क्षीरभोजी एकादशी व्रत कहते हैं।
फलाहारी का मतलब है कि केवल फल का सेवन करते हुए एकादशी का व्रत करना। इसमें व्रत रखने वाले लोग आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता, केला आदि चीजें ग्रहण कर सकते हैं। पत्तेदार साग-सब्जियां, नमक और अन्न का सेवन बिल्कुल भी न करें।
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नक्तभोजी का अर्थ है कि सूर्यास्त से ठीक पहले दिन में एक समय फलाहार ग्रहण करना। एकादशी व्रत के समय नक्तभोजी के मुख्य आहार में साबूदाना, सिंघाड़ा, शकरकंदी, आलू और मूंगफली आदि चीजें शामिल है। एकल आहार में, सेम, गेहूं, चावल और दालों सहित ऐसा किसी भी प्रकार का अनाज का सेवन न करें जो एकादशी व्रत में वर्जित है।