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पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर का शिखरध्वज हवा की उल्टी दिशा में क्यों लहराता है, जानिए क्या है पौराणिक कथा

ओडिशा में जगन्नाथ मंदिर को आस्था का प्रतीक माना जाता है। यहां हर मंदिर के शिखर पर लहरा रहे ध्वज को बदलने की प्रक्रिया पूरी की जाती है, जिससे जुड़ा एक रोचक तथ्य प्रचलित है.जानिए कहां-कहां पड़ता है प्रभाव।

  • By सीमा कुमारी
Updated On: Jun 14, 2025 | 08:36 PM

श्री जगन्नाथ मंदिर(सौ.सोशल मीडिया)

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27 जून 2025 को जगन्नाथ रथ यात्रा शुरु हो रही है। जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा सनातन धर्म के सबसे प्रमुख उत्सवों में से एक माना जाता है। आपको बता दें, उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकलने वाली रथ यात्रा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

इतना ही नहीं पुरी स्थिति भगवान जगन्नाथ के इस मंदिर से जुड़ी कई चीजें हैं जिन्हें चमत्कारी माना जाता है। इनमें से ही एक है मंदिर के ध्वज का हवा की विपरीत दिशा में लहराना। इसके पीछे पौराणिक कहानी प्रचलित है जिसका उल्लेख अक्सर किया जाता है। ऐसे में आइए जानते है मंदिर के ध्वज से जुड़ी पौराणिक मान्यता के बारे में।

हवा की उल्टी दिशा में लहराती है जगन्नाथ मंदिर की ध्वज

जानकारों के अनुसार, पुरी के जगन्नाथ मंदिर में ध्वज को प्रत्येक दिन बदला जाता है। ध्वज परिवर्तन शाम के समय की जाती है। जगन्नाथ जी के तालध्वज से जुड़ी एक रोचक बात यह है कि यह हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।

बता दें कि अधिकतर तटीय क्षेत्रों में समुद्र से जमीन की ओर हवा चलती है, लेकिन पुरी में इससे विपरीत होता है। यहां जमीन से समुद्र की ओर हवा बहती है, जो अपने में एक रहस्य है।

हनुमान जी से जुड़ी है कहानी

इन रहस्यों का संबंध हनुमान जी से जुड़ा हुआ बताया जाता है। एक पौराणिक कहानी के अनुसार, भगवान विष्णु समुद्र की आवाज के कारण सो नहीं पा रहे थे। जब यह बात हनुमान जी को पता चली, तो उन्होंने समुद्र देव से विनती की कि वह अपनी आवाज को रोक दें।

इस पर समुद्र ने असमर्थता जताते हुए कहा कि यह मेरे बस में नहीं है। जहां तक हवा जाएगी, वहां तक मेरी लहरों की आवाज भी पहुंचेगी। तब हनुमान जी ने समुद्र देव से इसका उपाय पूछा, तो उन्होंने बताया कि आप अपने पिता पवन देव का आवाहन करें और उनसे कहें कि वह मंदिर की दिशा में न बहें।

यह भी पढ़ें-शनि की साढ़ेसाती और ढैया में शरीर के इन अंगों पर मंडराता है खतरा, जानिए कहां-कहां पड़ता है प्रभाव

पवन देव ने बताया था उपाय

इस पर हनुमान जी ने पवन देव का आह्वान किया और उनको यह व्यथा बताई। पवन देव ने भी कहा कि यह मेरे लिए संभव नहीं है। हालांकि, यदि तुम चाहो तो एक उपाय कर सकते हो। तुम मंदिर के चारों ओर इतनी तेजी से चक्कर लगाओ की वायु का ऐसा चक्र बन, जाए जो सामान्य पवन को मंदिर के अंदर प्रवेश न करने दे।

इस उपाय को सुनने के बाद हनुमान जी ने वायु से भी तेज गति से मंदिर के आसपास चक्कर लगाने लगे। इसके बाद वायु का ऐसा चक्र मंदिर के चारों ओर बन गया, जिससे समुद्र की लहरों की आवाज मंदिर के अंदर जाना बंद हो गई।

इसके बाद श्री भगवान जगन्नाथ आराम से सोने लगे। कहते हैं इस उपाय को करने के बाद में सामान्य रूप से जिस भी दिशा में हवा चल रही होती है, उसकी विपरीत दिशा में ही मंदिर का ध्वज का लहराता रहता है। ऐसा हनुमान जी के विपरीत दिशा में चक्कर लगाने की वजह से हुआ है।

 

Why top flag of puris sri jagannath temple flutter in the opposite direction of the wind

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Published On: Jun 14, 2025 | 08:36 PM

Topics:  

  • Jagannath Puri Temple
  • Lifestyle News
  • Religion

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