लहसुन-प्याज (सौ.सोशल मीडिया)
Premanand Ji Maharaj Tips: शिवभक्ति, साधना और संयम का महीना सावन हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस महीने शिव भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा, व्रत और अनुष्ठान करते हैं। लेकिन, सावन आते ही कई लोगों के मन सवाल उठता है कि क्या इस दौरान लहसुन और प्याज खाना चाहिए ?
अगर हां, तो क्यों? इस सवाल का सीधा और सरल जवाब दिया है वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज ने, जिनके प्रवचन और व्यवहारिक ज्ञान ने लाखों लोगों को जीवन का सही मार्ग दिखाया है।
आपको बता दें, हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में उन्होंने इस जिज्ञासा को शांत किया और इसके पीछे का आध्यात्मिक कारण समझाया। आइए जानते हैं उनकी बताई गई बातों को, आखिर क्यों लहसुन-प्याज नहीं खाना चाहिए।
महाराज प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, सावन भगवान शिव को समर्पित महीना है, जब भक्त केवल शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक शुद्धता की ओर बढ़ते हैं। यही कारण है कि इस दौरान सात्त्विक भोजन पर जोर दिया जाता है, जिसमें लहसुन-प्याज जैसे तमोगुणी पदार्थों के लिए कोई स्थान नहीं।
एक भक्त द्वारा पूछे गए प्रश्न पर महाराज ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “लहसुन और प्याज उसी मिट्टी में उगते हैं जिसमें आलू उगता है, लेकिन अंतर उनके गुणों का है, स्वाद का नहीं।” उनका कहना था कि इनका सेवन पाप नहीं है, लेकिन आध्यात्मिक साधना में रुकावट जरूर है। जो लोग व्रत, जप-तप, भागवत पाठ या शिव साधना कर रहे हैं, उन्हें इन तामसिक चीजों से बचना चाहिए।
प्रेमानंद महाराज ने यह भी बताया कि यदि आप लहसुन-प्याज को औषधीय दृष्टिकोण से ले रहे हैं, तो उसका सीमित मात्रा में सेवन किया जा सकता है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य लाभ होना चाहिए, स्वाद या आदत नहीं।
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महाराज ने वृंदावन का सुंदर उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ राधारानी और ठाकुरजी को बिना लहसुन-प्याज का अत्यंत स्वादिष्ट भोजन भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि स्वाद लहसुन-प्याज पर निर्भर नहीं करता, बल्कि भोजन में प्रेम, शुद्धता और भाव मुख्य होते हैं।