शिवलिंग (सौ.सोशल मीडिया )
सावन का महीना कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है। सावन का पावन महीना भगवान शिव की भक्ति का सबसे शुभ एवं खास समय होता है। इस पूरे महीने में शिव भक्त शिव जयकारे के साथ शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, फल आदि चढ़ाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, खासकर जब उन्हें श्रद्धा से जल और बेलपत्र चढ़ाया जाए।
लेकिन आपने अक्सर सुना होगा कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद नहीं खाना चाहिए। इस बात के पीछे धार्मिक मान्यता है, जिसका उल्लेख शिव पुराण में भी मिलता है। आइए जानते हैं कि इस मान्यता के पीछे क्या वजह है।
शिव पुराण के अनुसार ,शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाने से सभी पापों का अंत हो जाता है और इससे बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है। इससे जीवन में दिव्यता का संचार होता है। इसको लेकर एक कथा बताई जाती है कथा के अनुसार भगवान शिव के मुंह से चंडेश्वर नामक गण प्रकट हुआ था।
शिवजी के चंडेश्वर को भूत-प्रेतों का प्रधान बना दिया। साथ ही भगवान ने शिवलिंग पर चढ़ाए प्रसाद पर इसको अधिकार दे दिया। मान्यता है कि शिवलिंग का प्रसाद खाना चंडेश्वर यानी भूतों का खाना खाने जैसा माना गया है। इसलिए मनुष्यों को यह नहीं खाना चाहिए।
हालांकि कई विद्वान इससे अलग मत रखते हैं, उनका कहना है कि कुछ खास तरह के शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद ही नहीं खाना चाहिए, बाकी पर चढ़ा प्रसाद खा सकते हैं। अगर आप भी शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद खाते हैं या घर ले जाते हैं तो नियमों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है।
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विद्वानों के अनुसार सभी शिवलिंग पर चढ़ा गया प्रसाद चंडेश्वर का भाग नहीं माना जाता है। आमतौर पर साधारण पत्थर, चीनी मिट्टी और मिट्टी से बने शिवलिंग का प्रसाद नहीं खाना चाहिए। इस तरह के शिवलिंग पर चढ़े हुए प्रसाद को खाने की बजाय नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।
धार्मिक ग्रंथों और विद्वानों के अनुसार तांबे, सोने, चांदी आदि धातुओं से बने शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद खाया जा सकता है। पारद शिवलिंग पर भी प्रसाद चढ़ाने के बाद खा सकते हैं और घर भी ले जा सकते हैं। इन धातुओं से बने शिवलिंग का प्रसाद खाने से किसी भी प्रकार का कोई दोष नहीं लगता है।