दीवाली पर डायन दीया जलाने की परंपरा (सौ.सोशल मीडिया)
Diwali 2024: हिंदू धर्म में व्रत -त्योहार का महत्व होता है जिसमें सबसे बड़े त्योहारों के बीच दीवाली का त्योहार सबसे बड़ा त्योहार है। इस दिन दीयों की रोशनी से घर से आंगन जगमगाता है तो वहीं पर मां लक्ष्मी औऱ श्रीगणेशजी की पूजा की जाती है। देशभर में इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दीवाली के दिन दीयों का जलाने की परंपरा होती है लेकिन मौजूदा समय में इलेक्ट्रॉनिक लाइट्स ने इसकी जगह ले ली है। दीवाली की परंपराओं में सबसे खास परंपरा डायन दीया जलाने की होती है इसके लिए त्योहार आने के कुछ दिन पहले ही इन दीयों की डिमांड बढ़ जाती है।
दीवाली पर घर से आंगन तक रोशनी बिखेरना जरूरी होता हैं तो वहीं पर इसके लिए मिट्टी के दीये और चाइनीज बल्ब का इस्तेमाल किया जाता है। इस दिन दिवाली की रात डायन दीया जलाने की परंपरा काफी समय से प्रचलित है इसके लिए दीवाली आते ही इन डायन दीयों की मांग बढ़ने लगती है। भलें ही दीवाली पर इलेक्ट्रिक लाइट्स जलाए जाते हैं लेकिन डायन दीयों की जगह आज तक तक कोई नहीं ले पाया है।
यहां पर दीवाली के मौके पर डायन दीया जलाने की परंपरा का वास्तिक अर्थ हैं कि, डायन दीया जलाने से घर में बुरी शक्तियों का वास नहीं हो पाता है। दीवाली के दिन अगर आप चौखट पर डायन दिया जलाते हैं तो, कहते हैं कि, भूत, भानगढ़, और गलत आत्मा का वास घर में नहीं होता है। इन दीयों की बढ़ती मांग को लेकर डायन दीया बनाने वाले कुम्हारों का कहना हैं कि, हर घर में दीया जलाने की पुरानी परंपरा चली आ रही है इसकी मांग के साथ खूब बिक्री होती है।
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दीवाली को दीपोत्सव के नाम से भी जाना जाता हैं इस दिन भगवान श्रीराम अपने 14 वर्ष के वनवास को पूरा करके माता सीता समेत भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या नगरी पहुंचे थे। यहां पर अयोध्या वासियों ने जगमग दीपों से उनका स्वागत किया था इस दिन से ही देशभर में दीवाली का त्योहार मनाया जा रहा है।