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जहाँ हर घर जलता है दीया, वहाँ रहती है उदासी: दीपावली पर क्यों शोक मनाता है यह रहस्यमयी गाँव?

Diwali Puja: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के कुछ गांवों में सन्नाटा पसरा होता है। इन गांवों में न रंगोली बनती है, न दिये जलते हैं और न ही कोई उत्सव होता है। यहां के लोग दीवाली नहीं, शोक मनाते है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Oct 20, 2025 | 09:11 AM

दीपावली पर शोक में डूबे रहते हैं इस गांव के लोग (सौ. सोशल मीडिया)

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मिर्जापुर: आज देशभर में दीवाली का त्योहार मनाया जा रहा है जहां पर दीयों की रोशनी के साथ ही खुशियों का आज दिन है। दीवाली की खुशियां हर किसी के लिए एक सी नहीं होती है। दीवाली के मौके पर जहां देश जश्न मनाता है वहीं पर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के कुछ गांवों में सन्नाटा पसरा होता है। इन गांवों में न रंगोली बनती है, न दिये जलते हैं और न ही कोई उत्सव होता है। यहां के लोग इस दिन दीवाली नहीं, बल्कि शोक मनाते हैं। राजगढ़ क्षेत्र के भांवा, अटारी और आसपास के कई गांवों में रहने वाले चौहान वंश के क्षत्रिय परिवार दीपावली के दिन कोई जश्न नहीं मनाते।

दीवाली न मनाने की असली वजह

इस क्षेत्र में दीवाली नहीं मनाने की असली वजह यह है कि, इसी दिन मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान की हत्या की थी। पृथ्वीराज चौहान को ये लोग अपने पूर्वज और महान योद्धा मानते हैं। इसलिए इस दिन को खुशियों के बजाय गहरे शोक और सम्मान के रूप में मनाया जाता है।इन गांवों में दीपावली की रात घर अंधेरे में रहते हैं; कोई बिजली की लाइट या तेल का दीया नहीं जलाता। पूजा-पाठ जरूर होती है। एक दीया जलाकर लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है, लेकिन फिर उस दीये को बुझा दिया जाता है और परिवार के लोग चुपचाप दिन गुजारते हैं।इन गांवों में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। ये लोग अपने वीर राजा की शहादत वाले दिन कोई उत्सव नहीं मनाते।

4-5 दिन बाद एकादशी पर मनाते है दीवाली का त्योहार

भले ही दीवाली के दिन त्योहार नहीं मनाते है लेकिन दीपावली की पूरी खुशी ये लोग त्यौहार के 4-5 दिन बाद एकादशी के दिन मनाते हैं। उस दिन इनके घरों में दीये जलते हैं, मिठाइयां बनती हैं और सभी मिलकर खुशियां बांटते हैं। इसे ये लोग अपनी दीपावली कहते हैं।

ये भी पढ़ें-आज दिवाली पर हस्त और चित्रा नक्षत्र में लक्ष्मी पूजन का दुर्लभ संयोग! जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

इस अलग-सी परंपरा ने इन गांवों को बाकियों से बिल्कुल अलग बना दिया है। जहां एक ओर बाकी देश रोशनी और रंगों में डूबा होता है, वहीं यहां के लोग शौर्य, बलिदान और इतिहास को याद करते हैं। यह परंपरा ना सिर्फ श्रद्धांजलि, बल्कि भावी पीढ़ी को अपने इतिहास से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम भी है।

आईएएनएस के अनुसार

Why does this mysterious village in the rajgarh area mourn on diwali

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Published On: Oct 20, 2025 | 08:28 AM

Topics:  

  • Diwali
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