क्या है तीसरी सीढ़ी का रहस्य (सौ.सोशल मीडिया)
भगवान जगन्नाथ को समर्पित रथयात्रा की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं। यह उत्सव इस बार 27 जून को मनाया जाएगा, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों को खींचा जाएगा।
पिछले साल की तरह इस बार की रथयात्रा भी भव्य होने वाली है। रथयात्रा के लिए जहां पर रथ बनकर तैयार हो गए है वहीं पर अन्य तैयारियां भी अभी चल रही है। हर साल आयोजित होने वाली रथयात्रा में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते है सभी रथयात्रा में शामिल होकर रथ खींचते हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पुरी का जगन्नाथ मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके साथ जुड़े अनेक रहस्य भी लोगों को आश्चर्यचकित करते हैं। मंदिर की संरचना, इसकी परंपराएं और विशेष नियम जैसे तीसरी सीढ़ी पर पैर न रखने की परंपरा इसे और भी रहस्यमयी बनाते हैं।
श्रद्धालुओं में इन रहस्यों को जानने की उत्सुकता हमेशा बनी रहती है, जिससे यह मंदिर आस्था के साथ-साथ जिज्ञासा का भी केंद्र बना हुआ है। इस रहस्य का सीधा संबंध यमराज से माना जाता है। आइए जानते हैं विस्तार से।
धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से जगन्नाथ रथ यात्रा भारत की सबसे पवित्र यात्राओं में से एक है। पुराणों में जगन्नाथ धाम की बड़ी महिमा है, इसे धरती का बैकुंठ भी कहा गया है और पुरी को पुरुषोत्तम पुरी भी कहा जाता है। यह हिंदू धर्म के पवित्र चार धाम बद्रीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और जगन्नाथ पुरी में से एक है।
ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान श्रीहरि का वास है। भक्तों की यह आस्था है कि इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मुक्ति मिलती है। इसलिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु हर साल यहां दर्शन के लिए आते हैं।
भगवान जगन्नाथ के दर्शन को अत्यंत पवित्र और फलदायक माना जाता है। आषाढ़ महीने में निकलने वाली रथ यात्रा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसमें श्रद्धालु न केवल भगवान की भव्य झांकी देखते हैं, बल्कि पापों से मुक्ति पाने की कामना भी करते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस मंदिर के अंदर से होकर गुजरने से और भगवान के सामने आने से जीवन के सारे दुख और बाधाएं दूर हो जाती हैं।
जानकारों का मानना है कि, जगन्नाथ मंदिर की कुल 22 सीढ़ियां हैं जिनमें तीसरी सीढ़ी को विशेष पवित्रता प्राप्त है और इसे ‘यम शिला’ कहा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार यमराज भगवान जगन्नाथ से मिलने आए।
यमराज ने बताया कि इस मंदिर में दर्शन करने वाले को यमलोक नहीं जाना पड़ता। तब भगवान जगन्नाथ ने यमराज के लिए तीसरी सीढ़ी को उनका विशेष स्थान देते हुए इसे यम शिला घोषित किया।
कहते हैं कि जो भी भक्त भगवान जगन्नाथ के दर्शन के बाद इस तीसरी सीढ़ी पर पैर रखता है, उसके सारे पाप जरूर धुल जाते हैं, लेकिन उसे यमलोक, अर्थात मृत्यु लोक जाना पड़ता है। इसलिए मंदिर में यह नियम बना कि किसी भी श्रद्धालु या पुजारी को तीसरी सीढ़ी पर पैर नहीं रखना चाहिए।
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यह नियम भक्तों की रक्षा और उनकी आत्मा की मुक्ति के लिए बनाया गया है। तीसरी सीढ़ी को यमराज से जोड़ने की यह कथा मंदिर की पवित्रता और रहस्यमयता को बढ़ाती है। इससे मंदिर में श्रद्धालुओं का विश्वास और आस्था और गहरा होती है।
यह नियम केवल धार्मिक आस्था ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक परंपराओं का भी हिस्सा बन गया है। हर भक्त इसे सम्मान के साथ मानता है और मंदिर के नियमों का पालन करता है।