कब मनाई जाएगी रमा एकादशी (सौ.सोशल मीडिया)
Rama Ekadashi 2025 Kab Hai 2025: धार्मिक एवं ज्योतिषीय दृष्टि से कार्तिक महीने का बड़ा महत्व होता है। इस महीने में कई व्रत त्योहार मनाए जाते हैं। जिसमें जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित रमा एकादशी का व्रत भी रखा जाता हैं। इस बार यह एकादशी शुक्रवार, 17 अक्टूबर को रखा जाएगा। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
कहा जाता है कि, रमा एकादशी का व्रत और पूजा करने वालों के सभी दुख भगवान दूर करते हैं और साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। यहां विस्तार से जानिए इस साल रमा एकादशी की तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 16 अक्टूबर 2025 को सुबह 10:34 बजे शुरू होगी। एकादशी तिथि अगले दिन 17 अक्टूबर 2025 को सुबह 11:12 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, रमा एकादशी व्रत शुक्रवार, 17 अक्टूबर को रखा जाएगा।
सूर्योदय : सुबह 6 बजकर 23 मिनट पर
सूर्यास्त : शाम 5 बजकर 49 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 4 बजकर 43 मिनट से 5 बजकर 33 मिनट तक
विजय मुहूर्त : दोपहर 2 बजकर 1 मिनट से 2 बजकर 46 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त : शाम 5 बजकर 49 मिनट से 6 बजकर 14 मिनट तक
निशिता मुहूर्त : रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक
रमा एकादशी पर पूजा करने का शुभ अभिजित मुहूर्त सुबह 11:49 से लेकर 12:20 तक रहेगा। अमृत काल शुभ मुहूर्त सुबह 11:25 से लेकर 1:06 तक रहेगा। जबकि, ब्रह्म काल मुहूर्त सुबह 4:58 से लेकर 5:40 तक रहेगा।
ज्योतिषियों के मुताबिक, इस बार रमा एकादशी के दिन सूर्य राशि परिवर्तन कर रहे हैं। सूर्य कन्या राशि से तुला राशि में गोचर करने जा रहे हैं। इसलिए इस दिन तुला संक्रांति भी आ रही है।
सनातन धर्म में रमा एकादशी का विशेष महत्व है। पौराणिक धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युद्धिष्ठिर को रमा एकादशी के बारे में कहा था कि यह एकादशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में दीपावली के 4 दिन पहले पड़ती है। जिसे रंभा/ रम्भा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
यह व्रत सच्चे मन से व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर फल मिलता है तथा यह एकादशी सबसे शुभ और महत्वपूर्ण मानी गई है। यह एकादशी भगवान श्री विष्णु को सभी व्रतों में सबसे अधिक प्रिय है, और यह पुण्य कार्य का संचय करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है।
पद्म पुराण के अनुसार जो मनुष्य सच्चे मन से इस एकादशी का व्रत-उपवास रखता है, उसे बैकुंठ धाम प्राप्त होता है और जीवन के समस्त समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी का साथ पूजन किया जाता है।
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हिन्दू धर्म में यह एकादशी इसीलिए भी अधिक महत्वपूर्ण मानी गई है, क्योंकि श्रीहरि विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी का एक नाम रमा भी है, अत: यह एकादशी विष्णु जी को अधिक प्रिय है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य सभी सुखों और ऐश्वर्य को प्राप्त करता है।
अत: दिवाली पूर्व आने वाली कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन से ही धन की देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सिलसिला शुरू हो जाता है।