
कब है अगहन माह का प्रदोष व्रत (सौ.सोशल मीडिया)
Margashirsha Bhaum Pradosh Vrat 2025:प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म का प्रमुख पर्व है जो हर महीने शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस बार अगहन महीने का प्रदोष व्रत 02 दिसंबर को रखा जाएगा। यह पावन पर्व भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है और इस दिन शाम के समय पूजा करना शुभ होता है।
कहा जाता है कि, प्रदोष काल में पूजा करने से सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, समृद्धि के साथ और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्योतिष गणना के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष यानी अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी प्रदोष व्रत इस बार मंगलवार के दिन पड़ रही है, इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जा रहा है।
कहते हैं कि जो साधक इस व्रत को सच्ची निष्ठा और पवित्रता करता हैं, उसे सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जीवन में शुभता आती है, तो आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं –
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 02 दिसंबर को दोपहर 03 बजकर 57 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 03 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर होगा। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा होती है। इसलिए 02 दिसंबर को प्रदोष व्रत रखा जाएगा।
सनातन धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि, जब यह व्रत मंगलवार को पड़ता है, तो इसे भौम प्रदोष कहा जाता है। ‘भौम’ शब्द मंगल ग्रह से जुड़ा है।
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कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से शिवजी की कृपा मिलती है और भक्तों को सभी दुख-दर्द से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान शिव के साथ हनुमान जी की पूजा का भी विशेष महत्व होता है, जो शत्रुओं पर विजय और बाधाओं को दूर करने में मदद करते हैं।






