आषाढ़ अमावस्या (सौ.सोशल मीडिया)
12 जून से हिन्दू धर्म का चौथा महीना यानी आषाढ़ महीने की शुरुआत हो चुकी है। हिन्दू धर्म के अनुसार, आषाढ़ का महीना पूजा-पाठ के लिहाज से बहुत ही शुभ माना गया है और कहते हैं कि इस माह यदि विधि-विधान से भगवान की अराधना की जाए तो जीवन में मंगल ही मंगल होता है।
आपको बता दें, ज्योतिष शास्र के अनुसार, आषाढ़ माह में आने वाली अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या या आषाढ़ी अमावस्या भी कहते हैं और हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व माना गया है। इस बार आषाढ़ माह में आने वाली अमावस्या 25 जून 2025, बुधवार को मनाई जाएगी।
कहते हैं कि अमावस्या तिथि के दिन पितर धरती पर आते हैं और इस दिन यदि विधि विधान से पितरों का तर्पण किया जाए तो उनकी आत्मा को शांति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन गंगा स्नान व दान का विशेष महत्व होता है और ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। ऐसे में आइए जानते हैं साल 2025 में जून माह में किस दिन पड़ेगी अमावस्या-
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि 24 जून को शाम 6 बजकर 59 मिनट पर आरंभ होगी और इसका समापन 25 जून को शाम 4 बजे होगा। उदयातिथि के अनुसार इस साल आषाढ़ अमावस्या 25 जून 2025, बुधवार को मनाई जाएगी।
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आपको बता दें, पंचांग के अनुसार इस साल आषाढ़ अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है जो कि सुबह 5 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगा और सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर समाप्त होगा। इसके अलावा सुबह गंड योग बन रहा है जो कि सुबह 6 बजे तक रहेगा। वहीं, वृद्धि योग और मृगशिरा नक्षत्र बन रहा है.ये सभी पूजा के लिए बेहद ही शुभ मुहूर्त है।
आषाढ़ अमावस्या के दिन सुबह 4 बजकर 5 मिनट से लेकर 4 बजकर 45 मिनट तक ब्रह्म मुहूर्त रहेगा और इसे स्नान के लिए बेहद ही शुभ माना गया है। कहते हैं कि अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद यदि दान किया जाए तो पितर प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देते हैं।