चातुर्मास में क्या करें और क्या नहीं (सौ.सोशल मीडिया)
6 जुलाई को देवशयनी एकादशी व्रत रखा जाएगा। भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित एकादशी तिथि को सनातन धर्म में बहुत ही पवित्र और पुण्यदायी माना गया है। ज्योतिष के अनुसार, सभी एकादशी में देवशयनी एकादशी को बहुत महत्वपूर्ण माना गया हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत होती है, जो चार महीनों तक चलता है। इस दौरान भगवान विष्णु विश्राम करते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव के द्वारा होता है।
कहते हैं कि चातुर्मास होने पर घर में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए अन्यथा आर्थिक समस्याएं होने लगती हैं। यही नहीं किसी धार्मिक यात्रा को भी न करें। यह उचित नहीं है। ऐसे में जानते हैं कि चातुर्मास में क्या करें और क्या नहीं करना चाहिए।
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आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 5 जुलाई को शाम 6 बजकर 58 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 6 जुलाई को शाम 9 बजकर 14 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
देवशयनी एकादशी की कथा श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई थी। श्रीकृष्ण से युधिष्ठिर ने प्रश्न किया था कि आषाढ़ माह की एकादशी कौनसी होती है। इसपर श्रीकृष्ण ने जवाब दिया था।
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को शयनी, हरियशयनी या देवशयनी एकादशी कहते हैं। यह व्रत स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने वाला और हर पाप को हरने वाला माना जाता है। इस एकादशी पर जिन्होंने कमल पुष्प से कमल लोचन भगवान विष्णु की पूजा कर ली और एकादशी का उत्तम व्रत रख लिया समझो उसने तीनों लोकों और तीनों सनातन देवताओं का पूजन कर लिया, उन्हें प्रसन्न कर लिया।
हरिशनयनी एकादशी पर हरि का एक रूप राजा बलि के यहां रहता है और दूसरा क्षीरसागर में शेषनाग की शय्या पर शयन करता है। शयन आने वाली कार्तिक एकादशी तक रहता है।
देवशयनी एकादशी से कार्तिक एकादशी तक खासतौर से मनुष्यों को धर्म का आचरण करना चाहिए। इस एकादशी पर रात्रि जागरण करना चाहिए, चक्रधारी भगवान विष्णु की भक्ति में रम जाना चाहिए और उनका पूजन करना चाहिए।
राजन! जो मनुष्य भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली सर्वपापहरा एकादशी के व्रत का पालन करता है वह श्रीहरि का प्रिय रहता है। जो मनुष्य दीपदान करता है और पलाश के पत्ते पर भोजन करता है वह सदा प्रिय रहता है।
सावन में साग, भादो में दही, कार में दूध और कार्तिक में दाल का त्याग करना चाहिए। जो मनुष्य चौमासे में ब्रह्मचर्य का पालन करता है वह परम गति को प्राप्त होता है। राजन! एकादशी के व्रत से ही मनुष्य पापों से मुक्त हो जाता है। इसीलिए सदा एकादशी का व्रत करना चाहिए।