जन्माष्टमी पर राजस्थान की खास परंपरा (सौ. सोशल मीडिया)
shri krishna janmashtami 2025: देशभर में जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था और नए युग का निर्माण हुआ था। जन्माष्टमी पर वैसे तो कई परंपराएं मनाई जाती है लेकिन राजस्थान की परंपरा की बात ही अलग है। राजस्थान के सिरोही जिले में जन्माष्टमी पर तालाब पूजन की परंपरा बेहद खास होती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बहनें तालाब की परिक्रमा कर विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करती है। इस परंपरा की अलग ही खासियत है जिसके बारे में चलिए जानते है।
यह खास परंपरा सिरोही जिले के सांतपुर मुख्य तालाब में करीब 40 वर्ष बाद से यह परंपरा विद्यमान है। पूर्व में यहां के ग्रामीण मंडोवरी तालाब की पूजा करते थे. इस वर्ष सरगरा समाज द्वारा इस तालाब का पूजन किया गया. यहां भारी संख्या में समाज की महिलाएं और पुरुष सुबह से ही धार्मिक रीति-रिवाज से तालाब की पूजा करने में जुट गए। इस परंपरा को लेकर गांव के ग्रामीण सुरेश जिंदल बताते है कि, क्षेत्र में तालाब पूजन की काफी पुरानी परंपरा है. जिसमें बहनें गांव के तालाब में उतरकर उसकी पूजा करती हैं और भाइयों की खुशहाली की कामना करती हैं. इसके बाद भाई उनके लिए उपहार और कपड़े लेकर आते हैं और बहन का हाथ पकड़कर तालाब से बाहर निकालते हैं और चुनरी ओढ़ाते हैं।
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इस परंपरा में आगे यह होता है कि, तालाब पूजने वाली महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा और गहनों में सजधज कर घर से सिर पर एक कलश लेकर ढ़ोल ढ़माकों के साथ अपने परिवार-रिश्तेदारों के साथ तालाब पर पहुंचती है। सांतपुर तालाब पहुंचने के बाद महिलाएं पूजा करती है और तालाब की परिक्रमा करती है। इसके बाद तालाब में खड़े रहकर बहनों ने भाइयों के तिलक लगाकर स्वागत किया जाता है। परम्परा अनुसार सभी भाई, बहनों को हाथ पकड़कर तालाब से बाहर निकालते है और चुनरी ओढ़ाते है। इस बात का ध्यान देना जरूरी होता है।
इस तरह से जन्माष्टमी पर कई तरह की परंपराएं प्रचलित है जिसकी जानकारी मिलती है।