Martand Bhairav मंदिर में क्या है खास। (सौ. pinterest)
Maharashtra Temple Martand Bhairav: भारत में कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं जो अपनी रहस्यमयी परंपराओं और चमत्कारिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्हीं में से एक है महाराष्ट्र के जेजुरी में स्थित प्रसिद्ध खंडोबा मंदिर, जहां हर साल दिसंबर में भक्त भगवान को हल्दी अर्पित करते हुए हल्दी की होली खेलते हैं। यह परंपरा सदियों पुरानी है और भगवान शिव के मार्तंड भैरव स्वरूप से गहराई से जुड़ी मानी जाती है।
खंडोबा मंदिर में पूजा का सबसे अनोखा पहलू यह है कि भगवान मार्तंड भैरव के दर्शन तब तक पूर्ण नहीं माने जाते जब तक भक्त राक्षस मणि की प्रतिमा के दर्शन न कर लें। मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थापित मणि की छोटी प्रतिमा विशेष श्रद्धा का केंद्र है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार, जब ब्रह्मा पृथ्वी की रचना कर रहे थे, तब उनके पसीने की बूंदों से मल्ल और मणि दो राक्षस उत्पन्न हुए। दोनों ने मिलकर धरती पर आतंक मचाना शुरू कर दिया। परेशान होकर भक्तों ने भगवान शिव से रक्षा की प्रार्थना की।
अपने भक्तों की रक्षा के लिए भगवान शिव ने खंडोबा या मार्तंड भैरव रूप में अवतार लिया। यह रूप उनका अत्यंत उग्र और योद्धा स्वरूप माना जाता है। मार्तंड भैरव ने मल्ल राक्षस का वध किया, जिसके बाद मणि ने भयभीत होकर भगवान के समक्ष आत्मसमर्पण कर क्षमा मांगी। भगवान शिव ने मणि को क्षमा दी और उसे अपने मंदिर में स्थान प्रदान किया। इसी कारण आज भी मणि की प्रतिमा के दर्शन मंदिर दर्शन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
जेजुरी मंदिर में हल्दी चढ़ाने और हल्दी की होली खेलने की परंपरा शत्रुओं पर विजय की स्मृति में मनाई जाती है। भक्त मानते हैं कि हल्दी शुभता, समृद्धि और शक्ति का प्रतीक है। इस दिन पूरा मंदिर परिसर पीले रंग में रंग जाता है, जिसे ‘सोने की जेजुरी’ भी कहा जाता है।
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हर वर्ष मंदिर में 42 किलो की भारी तलवार उठाने की प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। कहा जाता है कि इसी प्रकार की तलवार से भगवान मार्तंड भैरव ने मल्ल और मणि का संहार किया था। यह प्रतियोगिता शक्ति और श्रद्धा का अनोखा संगम मानी जाती है।
मान्यता है कि खंडोबा मंदिर में विवाह में देरी, संतान की इच्छा और जीवन की कई अन्य मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। यही कारण है कि यहां दूर-दूर से भक्त भगवान शिव के इस अनोखे योद्धा अवतार की पूजा करने पहुंचते हैं।