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आज शुभ संयोगों में मनेगी काल भैरव जयंती, महादेव के रूद्र रूप की होगी पूजा

इस बार काल भैरव अष्टमी 22 नवंबर यानि आज मनाई जा रही है। इस कृष्णाष्टमी को मध्याह्न काल यानी दोपहर में भगवान शंकर से भैरव रूप की उत्पत्ति हुई थी। भगवान भैरव से काल भी डरता है, इसलिए उन्हें काल भैरव भी कहते हैं।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Mar 18, 2025 | 04:55 PM

आज काल भैरव जयंती (सौ.सोशल मीडिया)

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मुंबई: हिंदू धर्म में काल भैरव को भगवान शिव का तीसरा रूद्र अवतार माना जाता है, पुराणों के मुताबिक मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन ही भगवान काल भैरव प्रकट हुए थे। इस बार काल भैरव अष्टमी 22 नवंबर यानि आज मनाई जा रही है। इस कृष्णाष्टमी को मध्याह्न काल यानी दोपहर में भगवान शंकर से भैरव रूप की उत्पत्ति हुई थी। भगवान भैरव से काल भी डरता है, इसलिए उन्हें काल भैरव भी कहते हैं। ब्रह्म योग, इंद्र योग और रवि योग में आज 22 नवंबर को भैरव अष्टमी मनाई जा रही है।

महादेव के रुद्र रुप का होता है पूजन

भैरव अष्टमी को देवाधिदेव महादेव के रूद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है, भैरव अष्टमी का व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस दिन विधि-विधान के साथ भगवान शिव के रौद्र रूप भगवान भैरव की पूजा करने का विधान है. इस दिन प्रातः व्रत का संकल्प लेकर रात्रि में कालभैरव भगवान की पूजा की जाएगी. काल भैरव अष्टमी को कालाष्टमी भी कहा जाता हैं. भैरव का अर्थ है भय को हरने वाला, इसीलिए ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी के दिन कालभैरव की पूजा करने से भय का नाश होता है, कालाष्टमी के दिन भगवान शिव, माता पार्वती और काल भैरव की पूजा करनी चाहिए।

भैरव अष्टमी का शुभ मुहूर्त

पंडित शंभूनाथ दुबे के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर को शाम 06.07 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 23 नवंबर को शाम 07.56 मिनट पर होगा. काल भैरव देव की पूजा निशा काल में की जाएगी, इसलिए 22 नवंबर को कालाष्टमी मनाई जाएगी. इस दिन मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी मनाई जाएगी।

ये भी पढ़ें- काला कुत्ता कैसे बना काल भैरव की सवारी, जानिए आज इसके पीछे की कहानी

काल भैरव जयंती के दिन का पंचांग

सूर्योदय- सुबह 06.50 बजे
सूर्यास्त- शाम 05. 25 बजे
चंद्रोदय- रात 11.41 बजे
चंद्रास्त- देर रात 12.35 बजे
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 05.02 से 05.56 बजे तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 01.53 से 02.35 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05.22 से 05.49 बजे तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11.41 से 12.34 बजे तक

कालाष्टमी पर शुभ योग

इस दिन ब्रह्म योग के साथ ही इंद्र योग का निर्माण होगा. इसके अलावा, रवि योग भी बनेगा. इन योग में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

गृहस्थ न करें तांत्रिक पूजा

कई लोग काल भैरव महाराज की तांत्रिक पूजा भी करते हैं, लेकिन गृहस्थ लोगों को काल भैरव की तांत्रिक पूजा करने से बचना चाहिए. तांत्रिक पूजा में जरा सी चूक आपको बड़ी हानि दे सकती है. आपके पारिवारिक जीवन में दिक्कत बढ़ सकती हैं, धन हानि हो सकती है और किस्मत भी आप से रूठ सकती है।

Today kal bhairav jayanti will be celebrated amidst auspicious coincidences

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Published On: Nov 22, 2024 | 08:38 AM

Topics:  

  • Kaal Bhairav
  • Religion

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