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आज पितृ पक्ष का पहला शनिवार, पितरों के प्रकोप से मुक्ति के लिए कर लें ये उपाय

Pitru Paksha: पितृ पक्ष में यदि शनिवार आता है तो उस दिन पितरों की तृप्ति और शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान का विशेष फल मिलता है। ऐसे में आइए जानते हैं पितृ पक्ष का पहला शनिवार क्यों शुभ है।

  • By सीमा कुमारी
Updated On: Sep 13, 2025 | 04:06 PM

पितृ पक्ष के पहले शनिवार को बन रहे हैं कई शुभ योग (सौ.सोशल मीडिया)

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First Saturday of Pitru Paksha 2025: आज पितृपक्ष का पहला शनिवार है और इस दिन त्रिपुष्कर योग और रवि योग का अद्भुत संयोग भी बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। शनि को कर्मफल दाता कहा गया है और वे ही पितरों के ऋण, कर्म और दंड से भी संबंधित माने जाते है।

ज्योतिष बताते हैं कि, शनि ग्रह जब कष्ट देते हैं, तो प्रायः उसके पीछे पितृ दोष या पूर्वजों का ऋण भी कारण होता है। पितृ पक्ष में यदि शनिवार आता है तो उस दिन पितरों की तृप्ति और शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान का विशेष फल मिलता है।
ऐसे में आइए जानते हैं पितृ पक्ष का पहला शनिवार क्यों शुभ है।

आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष के पहले शनिवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह के 9 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।

इस दिन सूर्य सिंह राशि और चंद्रमा वृषभ राशि में रहेंगे। इस दिन त्रिपुष्कर और रवि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। इन शुभ योग में न्याय के देवता शनिदेव और पितरों की पूजा अर्चना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

पितृ पक्ष के पहले शनिवार को बन रहे हैं कई शुभ योग

ज्योतिष के अनुसार, रवि योग ज्योतिष में एक शुभ योग माना गया है। यह तब बनता है, जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नौवें, दसवें और तेरहवें स्थान पर होता है।

इस दिन निवेश, यात्रा, शिक्षा या व्यवसाय से संबंधित काम की शुरुआत करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। वहीं, इस दिन त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है। यह योग तब बनता है, जब रविवार, मंगलवार या शनिवार के दिन द्वितीया, सप्तमी, द्वादशी में से कोई एक तिथि हो।

जानिए क्या है पितृपक्ष के पहले शनिवार का महत्व

शनिवार का दिन होने के कारण शनि देव की पूजा का विशेष महत्व है और इस दिन पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने का भी विशेष महत्व है। कई लोग शनिदेव को भय की दृष्टि से भी देखते हैं, लेकिन यह धारणा गलत है।

ज्योतिष-शास्त्र में मान्यता है कि शनि देव व्यक्ति को संघर्ष देने के साथ-साथ उन्हें सोने की तरह चमका भी देते है। वहीं पितरों की कृपा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

पितृपक्ष के पहले शनिवार को करें इन चीजों का दान:

पितृपक्ष के पहले शनिवार का बड़ा महत्व है। इस दिन पितृ पक्ष में गरीबों को भोजन कराना, काले तिल और तेल का दान करना, और पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाना अत्यंत शुभ है। पितरों को अन्न, जल और काला तिल अर्पित करने से शनि प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-शांति आती है।

शनि प्रकोप से मिलती है मुक्ति

शनि देव व्यक्ति को उनके वर्तमान जीवन में ही उनके कर्मों के अनुसार फल देते है। जब शनि की साढ़े साती, ढैय्या या महादशा चलती है, तो व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे आर्थिक संकट, नौकरी में समस्या, मान-सम्मान में कमी और परिवार में कलह आदि।

ऐसे में शनिवार का व्रत शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में आने वाली समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। यह व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से शुरू किया जा सकता है।

ये भी पढ़े- इस’दिन शुरू हो रहा है 2025 का कार्तिक महीना, जानिए श्रीहरि विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा की महिमा

मान्यताओं के अनुसार, साल शनिवार व्रत रखने से शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होने लगती है।

Today is the first saturday of pitru paksha follow these remedies to get relief from the wrath of ancestors

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Published On: Sep 13, 2025 | 04:06 PM

Topics:  

  • Pitru Paksha
  • Sanatan Hindu religion

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