आषाढ़ पूर्णिमा (सौ.सोशल मीडिया)
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बड़ा महत्व है। खासतौर पर,आषाढ़ महीने में आने वाली पूर्णिमा अलग ही महत्व रखती है। क्योंकि इसी दिन गुरु वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। इसलिए इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक, यह दिन पूजा-पाठ, दान-पुण्य और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए बहुत ही शुभ एवं पुण्यदायी माना गया है।
कहा जाता है कि इस पावन तिथि पर गुरु की उपासना करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशहाली आती है, तो आइए इस खबर में जानते हैं कि इस साल आषाढ़ पूर्णिमा कब मनाई जाएगी।
आपको बता दें, पंचांग गणना के आधार पर पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 09 जुलाई, 2025 को शाम 06 बजकर 54 मिनट से होगी। इसके साथ ही इसकी समाप्ति 10 जुलाई 2025 को शाम 05 बजकर 47 मिनट पर होगी, क्योंकि हिंदू धर्म में उदया तिथि का महत्व है। इसलिए 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी।
ज्योषीय गणना के आधार पर इस साल आषाढ़ पूर्णिमा का व्रत, स्नान-दान एक ही दिन यानी 10 जुलाई को मनाया जाएगा।
सनातन धर्म में आषाढ़ पूर्णिमा तिथि का बड़ा महत्व है। इस दिन चंद्रमा पूर्ण रूप में होते हैं। इसलिए धार्मिक कार्य तो इस दिन किए ही जाते हैं साथ ही योग-ध्यान और आध्यात्मिक अनुष्ठान करने से भी इस दिन लाभ होता है।
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यह दिन जप, तप, स्नान, दान के लिए भी अत्यंत लाभदायक माना गया है। इसके साथ ही आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा करने से भी लाभ होता है।
आप यथासंभव इस दिन धन का दान कर सकते हैं या जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र आदि दे सकते हैं। ये सभी कार्य आषाढ़ पूर्णिमा के दिन करने से देवी-देवताओं के साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी आपको प्राप्त होता है।
धर्म गुरु के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा के दिन न केवल देवी-देवताओं बल्कि गुरुओं की पूजा और सेवा भी की जाती है। सात चिरंजीवियों में से एक वेदव्यास जी का जन्मोत्सव भी इस दिन मनाया जाता है। गुरु-शिष्य परंपरा में इस दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा करता है और गुरु अपने शिष्य को आशीर्वाद देते हैं। इसीलिए आषाढ़ पूर्णिमा को बेहद खास माना जाता है।