बसंत पंचमी(सौ.सोशल मीडिया)
Basant Panchami: हिंदू धर्म में बसंत पंचमी विशेष महत्व है। बसंत पंचमी का पर्व मुख्य रूप से भारत के पूर्वी हिस्सों में, विशेषकर पश्चिम बंगाल और बिहार में बहुत ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास से मनाया जाता है। वहीं, उत्तर भारत में यह पतंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
बसंत पंचमी का सीधा रिश्ता मां सरस्वती के अवतरण दिवस से हैं। यह पर्व हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व से वसंत ऋतु का प्रारंभ माना जाता है। मां सरस्वती को विद्या, ज्ञान और कला की देवी के रूप में माना जाता है। पूरे देश में इस दिन को बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इसके अलावा, यह दिन एक देव के लिए खास होता है। इस दिन भगवान शंकर की तपस्या भी भंग की गई थी। आइए जानते हैं इन देव के बारे में.
बसंत पंचमी पर होती है इन देव की पूजा
पौराणिक कथा के मुताबिक, बसंत पंचमी के दिन कामदेव ने अपनी पत्नी रति के साथ भोले शंकर की तपस्या को भंग किया था। इससे क्रोधित होकर शंकर भगवान ने अपने त्रिनेत्र से कामदेव को भस्म कर दिया था।
साधु-संत इस दिन कामदेव और रति की पूजा करते है क्योंकि इस दिन ही कामदेव और रति ने पहली बार इंसानों के बीच प्रेम और आकर्षण का संचार किया था। इसके अलावा, माना जाता है कि कामदेव और रति के आगमन से ही वसंत ऋतु का प्रारंभ होता है।
इन वजहों से होती है कामदेव और रति की पूजा
पौराणिक ग्रंथो में कामदेव को प्रेम का देव माना गया है। ऐसे में किसी के द्वारा कामदेव और रति की पूजा का बड़ा महत्व माना गया है। कहा गया है कि इनकी पूजा से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
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साथ ही जातक के मन में एक नई उमंग आती है। वहीं, कामदेव और रति के आगमन मात्र से प्रकृति में हरियाली आ जाती है और फूल खिलने लगते हैं। माना गया कि इनकी पूजा से जातक की लवलाइफ़ और वैवाहिक संबंधों में मधुरता बढ़ जाती है। इसलिए इस दिन कामदेव और रति की पूजा का बड़ा महत्व माना गया है।