इन खास भोग के बिना जितिया व्रत है अधूरा (सौ.सोशल मीडिया)
Jitiya Vrat 2025: 14 सितंबर, रविवार को तीन दिवसीय जीवित्पुत्रिका यानी जितिया व्रत रखा जा रहा है। जितिया व्रत हिन्दू धर्म में सबसे कठिन व्रतों में एक माना जाता है। क्योंकि इसमें हिन्दू माताएं अन्न-जल तक ग्रहण नहीं करतीं।यह व्रत हर साल आश्विन मास की अष्टमी तिथि को उतर भारत सहित बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
जैसा कि, यह उपवास संतान की सुरक्षा के लिए रखा जाता है। यह व्रत तीन दिनों तक चलता है, जिसमें निर्जला उपवास रखने का विधान है। इस व्रत में पूजा के साथ-साथ प्रसाद का भी खास महत्व है। कुछ ऐसे पारंपरिक भोग हैं, जिनके बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है।
इन खास भोग को प्रसाद में शामिल करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है, तो आइए इन दिव्य भोग के बारे में जानते हैं।
हिन्दू लोक मतों के अनुसार, ठेकुआ जितिया व्रत का सबसे महत्वपूर्ण और पारंपरिक प्रसाद है। ठेकुआ न केवल पूजा का अहम हिस्सा है, बल्कि यह प्रसाद के रूप में भी प्रमुख है। मान्यता है कि ठेकुआ भगवान जीमूतवाहन को विशेष रूप से प्रिय है। इसे प्रसाद में शामिल करने से व्रत सफलतापूर्वक पूरा होता है और संतान पर भगवान की कृपा बनी रहती है।
पूड़ी और खीर का भोग लगभग हर शुभ कार्य में शामिल किया जाता है। जितिया व्रत के प्रसाद में भी इनका खास स्थान है। पूड़ी और खीर का भोग लगाने से जीमूतवाहन खुश होते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
जितिया व्रत में पूड़ी और खीर के अलावा फलों का प्रसाद भी जितिया व्रत का एक अहम हिस्सा है। व्रत में मौसमी फल जैसे सेब, केला, नाशपाती और अनार चढ़ाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, कोई भी पारंपरिक मिठाई जैसे लड्डू, पेड़ा या बर्फी भी प्रसाद में शामिल की जा सकती है। फल और मिठाई का भोग लगाने से पूजा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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