कब है हरियाली तीज सिंजारा (सौ.सोशल मीडिया)
Hariyali Teej Sinjara 2025 :सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाए जाने वाला अखंड सौभाग्य का प्रतीक हरियाली तीज का पावन पर्व हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। क्योंकि यह पावन पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। हरियाली तीज के दिन पहले सिंधारा मनाया जाता है। जो इस बार 26 जुलाई,शनिवार 2025 को मनाया जाएगा।
आपको बता दें कि हरियाली तीज का पावन पर्व विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
इस त्योहार को मनाने का अलग ही महत्व होता है। कुछ जगहों पर हरियाली तीज के दिन बेटी के मायके से सिंधारा आता है, जिसका विशेष महत्व होता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि सिंधारा भेजने के पीछे धार्मिक महत्व क्या है। आइए जानते है सिंधारा भेजने के पीछे धार्मिक वजह और महत्व
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, सिंजारा का त्योहार इस साल 26 जुलाई,शनिवार 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन श्रावण शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि रात 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। सिंजारा के अगले दिन यानी 27 जुलाई को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाएगा।
आपको बता दें, सुहागिन महिलाओं के मायके से आने वाले साजो श्रृंगार के सामान यानी सिंधारा में वस्त्र, हरी चूड़ी, सोने के आभूषण, मांग टीका, काजल, मेहंदी, नथ, बिंदी, सिंदुर, गजरा, कमरबंद, बिछिया, पायल, झुमके, बाजूबंद, अंगूठी, कंघा, घेवर, रसगुल्ला, मावे की बर्फी।
हिन्दू परंपराओं के अनुसार, हरियाली तीज के मौके पर शादीशुदा बेटी के मायके से ‘सिंधारा’ आता है। यह बेहद ही पुरानी परंपरा है जिसे आज भी पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है। मायके से आने वाले सिंधारे में कपड़े, घेवर मिठाई, फल और बेटी के लिए सुहाग का सामान होता है। सिंधारे के फल व मिठाई शगुन के तौर पर पड़ोसियों व रिश्तेदारों के बांटे जाते हैं। यह सिंधारा बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसके जरिए मायके से बेटी को खुशहाल जीवन का आशीर्वाद भेजा जाता है।
परंपराओं के अनुसार, हरियाली तीज का पर्व बेटी के मायके में ही मनाया जाता है। इस दिन जब पिता या भाई बेटी के ससुराल सिंधारा लेकर जाते हैं, तो वापस आते समय बेटी को भी मायके लेकर आते हैं। मायके जाकर वह अपनी सहेलियों के साथ खूब मस्ती करती है। यह परंपरा आज भी कायम है। इसके पीछे एक बेहद रोचक कहानी भी छिपी हुई है।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार हरियाली तीज के दिन राधा रानी अपने ससुराल से मायके यानि बरसाना आई थी। मायके आकर उन्होंने अपने सखियों के साथ झूला-झूलते हुए मस्ती और खूब हंसी-ठिठोली भी की। कहते हैं कि तभी से यह परंपरा है कि, हरियाली तीज के दिन बेटी ससुराल से मायके आती है। इसलिए यह त्योहार मायके में मनाया जाता है।