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आज चौथे बड़े मंगल पर हनुमान जी की पूजा के समय करें प्रेतराज चालीसा का पाठ, भय और शत्रुओं से मिलेगा छुटकारा

पवनपुत्र हनुमान जी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, बल और बुद्धि में भी वृद्धि होती है। अगर आप भी हनुमान जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो इस दिन प्रेतराज चालीसा का पाठ अवश्य करे।

  • By सीमा कुमारी
Updated On: Jun 03, 2025 | 11:26 AM

प्रेतराज चालीसा का पाठ (सौ.सोशल मीडिया)

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आज यानि 3 जून 2025 को ज्येष्ठ महीने का चौथा बड़ा मंगल मनाया जा रहा है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम भक्त पवनपुत्र को समर्पित मंगलवार का दिन हनुमान जी को अति प्रिय है। इस शुभ अवसर पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और हनुमान जी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मंगलवार का व्रत भी रखा जाता है।

इस व्रत को करने से कुंडली में मंगल मजबूत होता है। साथ ही करियर और कारोबार संबंधी परेशानी दूर होती है। धार्मिक मत है कि पवनपुत्र हनुमान जी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

इसके अलावा, बल और बुद्धि में भी वृद्धि होती है। अगर आप भी राम भक्त हनुमान जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो बड़े मंगल पर पूजा के समय प्रेतराज चालीसा का पाठ अवश्य करें।

हनुमान जी की पूजा के समय करें प्रेतराज चालीसा का पाठ

श्री प्रेतराज चालीसा

॥ दोहा ॥

गणपति की कर वंदना,गुरु चरनन चितलाय।
प्रेतराज जी का लिखूं,चालीसा हरषाय॥
जय जय भूताधिप प्रबल,हरण सकल दु:ख भार।
वीर शिरोमणि जयति,जय प्रेतराज सरकार॥

॥ चौपाई ॥

जय जय प्रेतराज जग पावन। महा प्रबल त्रय ताप नसावन॥
विकट वीर करुणा के सागर। भक्त कष्ट हर सब गुण आगर॥

रत्न जटित सिंहासन सोहे। देखत सुन नर मुनि मन मोहे॥
जगमग सिर पर मुकुट सुहावन। कानन कुण्डल अति मन भावन॥

धनुष कृपाण बाण अरु भाला। वीरवेश अति भृकुटि कराला॥
गजारुढ़ संग सेना भारी। बाजत ढोल मृदंग जुझारी॥

छत्र चंवर पंखा सिर डोले। भक्त बृन्द मिलि जय जय बोले॥
भक्त शिरोमणि वीर प्रचण्डा। दुष्ट दलन शोभित भुजदण्डा॥

चलत सैन काँपत भूतलहू। दर्शन करत मिटत कलि मलहू॥
घाटा मेंहदीपुर में आकर। प्रगटे प्रेतराज गुण सागर॥

लाल ध्वजा उड़ रही गगन में। नाचत भक्त मगन हो मन में॥
भक्त कामना पूरन स्वामी। बजरंगी के सेवक नामी॥

इच्छा पूरन करने वाले। दु:ख संकट सब हरने वाले॥
जो जिस इच्छा से आते हैं। वे सब मन वाँछित फल पाते हैं॥

रोगी सेवा में जो आते। शीघ्र स्वस्थ होकर घर जाते॥
भूत पिशाच जिन्न वैताला। भागे देखत रुप कराला॥

भौतिक शारीरिक सब पीड़ा। मिटा शीघ्र करते हैं क्रीड़ा॥
कठिन काज जग में हैं जेते। रटत नाम पूरन सब होते॥

तन मन धन से सेवा करते। उनके सकल कष्ट प्रभु हरते॥
हे करुणामय स्वामी मेरे। पड़ा हुआ हूँ चरणों में तेरे॥

कोई तेरे सिवा न मेरा। मुझे एक आश्रय प्रभु तेरा॥
लज्जा मेरी हाथ तिहारे। पड़ा हूँ चरण सहारे॥

या विधि अरज करे तन मन से। छूटत रोग शोक सब तन से॥
मेंहदीपुर अवतार लिया है। भक्तों का दु:ख दूर किया है॥

रोगी, पागल सन्तति हीना। भूत व्याधि सुत अरु धन छीना॥
जो जो तेरे द्वारे आते।मन वांछित फल पा घर जाते॥

महिमा भूतल पर है छाई। भक्तों ने है लीला गाई॥
महन्त गणेश पुरी तपधारी। पूजा करते तन मन वारी॥

हाथों में ले मुगदर घोटे। दूत खड़े रहते हैं मोटे॥
लाल देह सिन्दूर बदन में। काँपत थर-थर भूत भवन में॥

जो कोई प्रेतराज चालीसा। पाठ करत नित एक अरु बीसा॥
प्रातः काल स्नान करावै। तेल और सिन्दूर लगावै॥

चन्दन इत्र फुलेल चढ़ावै। पुष्पन की माला पहनावै॥
ले कपूर आरती उतारै। करै प्रार्थना जयति उचारै॥

उनके सभी कष्ट कट जाते। हर्षित हो अपने घर जाते॥
इच्छा पूरण करते जनकी। होती सफल कामना मन की॥

भक्त कष्टहर अरिकुल घातक। ध्यान धरत छूटत सब पातक॥
जय जय जय प्रेताधिप जय। जयति भुपति संकट हर जय॥

जो नर पढ़त प्रेत चालीसा। रहत न कबहूँ दुख लवलेशा॥
कह भक्त ध्यान धर मन में। प्रेतराज पावन चरणन में॥

यह भी पढ़ें-इस साल की सबसे महत्वपूर्ण एकादशी जून के पहले हफ्ते, निर्जला एकादशी के दिन इन वस्तुओं के दान-पुण्य से भाग्योदय के बनेंगे योग

॥ दोहा ॥

दुष्ट दलन जग अघ हरन,समन सकल भव शूल।
जयति भक्त रक्षक प्रबल,प्रेतराज सुख मूल॥
विमल वेश अंजिन सुवन,प्रेतराज बल धाम।
बसहु निरन्तर मम हृदय,कहत भक्त सुखराम॥

Recite pretraj chalisa while worshiping hanumanji

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Published On: Jun 03, 2025 | 11:26 AM

Topics:  

  • Bada Mangal
  • Lord Hanuman
  • Religion

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