रमज़ान (सौ.सोशल मीडिया)
Ramadan 2025: आज यानी 2 मार्च से रमजान के पाक महीने की शुरुआत हो रही है। यानी इसी दिन पहला रोजा भी रखा जाएगा। और इसकी समाप्ति 31 मार्च को होगी। रमजान के महीने को इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना भी कहा जाता है। आपको बता दें, रमजान का महीना इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र महीनों में से एक है।
मुसलमान भाई बहन साल भर इस दिन यानी रमजान का बेसब्री से इंतजार करते हैं। जैसे-जैसे दिन खत्म होता है, सभी की निगाहें आसमान पर टिकी होती हैं क्योंकि आधे चांद के दिखने के साथ ही इस पवित्र महीने की शुरुआत होती है। और रोजा यानी उपवास शुरू हो जाता है। हालांकि भारत में अभी चांद नजर नहीं आया है ऐसे में 2 मार्च से रमजान के पाक महीने की शुरुआत होगी।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं, जिसमें वे सुबह से शाम तक बिना कुछ खाए-पीए रहते हैं।
रोजा रखने के साथ-साथ इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग कुरान पढ़ते हैं और अल्लाह की इबादत करते है। रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग गरीबों और जरूरतमंदों की मदद भी करते हैं।
फिर महीने के अंत में ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है। इस महीने में मुस्लिम लोग कुरान को पढ़ना बेहद शुभ मानते हैं। रमजान का महीना 29 या 30 दिन का होता है। ऐसे मे चलिए जानते हैं इस साल रमजान के पाक महीने की शुरुआत कब से हो रही है और पहला रोजा कब रखा जाएगा।
कब रखा जाएगा पहला रोजा
आपको जानकारी के लिए बता दें, भारत में ईद सऊदी अरब के एक दिन बाद में मनाई जाती हैं। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि भारत में केरल राज्य को छोड़कर 2 मार्च 2025 से रमजान की शुरुआत होगी और इसी दिन पहला रोजा रखा जाएगा। रमजान का महीना 29 या 30 दिन का हो सकता है।
सऊदी अरब में पहला रोजा 1 मार्च 2025 को रखा जाएगा। इस दिन से पवित्र माह रमजान की शुरुआत होगी। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, 1 मार्च से रमजान शुरू होगा। 29 और 30 मार्च 2025 को रमजान के आखिरी रोजे होंगे। चांद देखने के हिसाब से ईद-उल-फितर 30 मार्च 2025 को होने की संभावना है। लेकिन आखिरी फैसला चांद दिखने पर ही होता हैं।
2025 में ईद उल फितर कब है
2025 में ईद उल फितर का त्योहार 31 मार्च को मनाया जाएगा। बता दें ये पर्व शव्वाल महीने की पहली तारीख को मनाया जाता है।
जानिए रमजान के नियम और परंपराएं
मुस्लिम धर्म गुरु के अनुसार, रमजान में मुस्लिम लोग रोजा रखकर खुदा की इबादत करते हैं। रोजा सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रखा जाता है। उपवास के रोज सूर्योदय से पहले कुछ खा लिया जाता है जिसे सहरी कहा जाता है। फिर पूरे दिन न तो कुछ खाया जाता है और न ही कुछ पिया जाता है। फिर सूरज ढलने के बाद रोजा खोला जाता है जिसे इफ्तारी कहा जाता है। इसके अलावा रमजान में नमाज पढ़ने का विशेष महत्व माना गया है।
हर मुसलमान को दिन में पांच बार नमाज करना आवश्यक है और रमजान के महीने में ऐसा करना बहुत ही जरूरी माना जाता है। इस्लाम धर्म में दान की भी बड़ी अहमियत है। रमजान में नमाज के बाद जकात को ही सबसे अहम माना जाता है।
ईद-उल-फितर का क्या है महत्व
ईद-उल-फितर ईद इस्लाम के प्रमुख त्योहारों में एक है, जिसे मुस्लिम समुदाय के लोग खुशी और जश्न के साथ मनाते है। ईद-उल-फितर मनाए जाने को लेकर ऐसा माना जाता है कि, इसी खास दिन पर पैगंबर हजरत मुहम्मद ने बद्र के युद्ध में जीत हासिल की थी। इसी खुशी में हर साल ईद मनाई जाती है।
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कहा जाता है कि 624 ई. में पहली बार ईद-उल-फितर मनाया गया था। खुशी, जश्न, प्रेम, सौहार्द, अमन, चैन और भाईचारे को बढ़ावा देना ही ईद पर्व का महत्व है। इसलिए ईद के दिन लोग गले मिलते हैं और एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं।