इंद्रेश उपाध्याय और प्रेमानंद मीडिया जी महाराज (सोर्स- सोशल मीडिया)
Premanand Ji Kshetra Sanyas: राजस्थान के जयपुर में प्रसिद्ध कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय का विवाह समारोह आयोजन हुआ, जिसमें अध्यात्म और कला जगत के कई जाने-माने लोग शामिल हुए। इंद्रेश जी और उनके पिता, श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री, दोनों ही वृंदावन के रसिक संत प्रेमानंद जी महाराज के प्रिय शिष्य और भक्त हैं। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक था कि प्रेमानंद जी महाराज इस खास अवसर पर क्यों नहीं शामिल हुए। इस अनुपस्थिति का कारण उनकी किडनी की समस्या नहीं, बल्कि उनके द्वारा लिया गया एक कठोर व्रत है।
प्रेमानंद जी महाराज का विवाह समारोह में शामिल न हो पाने का मुख्य कारण उनकी किडनी की बीमारी नहीं है, जैसा कि अक्सर माना जाता है। असल वजह उनके द्वारा लिया गया ‘क्षेत्र संन्यास’ का कठोर प्रण है। इस संन्यास के तहत, उन्होंने दृढ़ प्रतिज्ञा ली है कि उनका शरीर किसी भी परिस्थिति में ब्रज क्षेत्र (84 कोस का इलाका) को छोड़कर बाहर नहीं जाएगा।
प्रेमानंद जी इस कठोर नियम का पालन हर हाल में करते हैं। यदि उन्हें स्वास्थ्य कारणों से भी मथुरा या वृंदावन से बाहर ले जाने की आवश्यकता होती है, तो वह मना कर देते हैं। यही वजह है कि उनकी सेहत से जुड़ी हर जरूरत को पूरा करने के लिए उनके आश्रम में ही मिनी आईसीयू जैसी सुविधाएं भी स्थापित की गई हैं। यह प्रण उनकी ब्रज के प्रति अटूट निष्ठा और कठोर साधना को दर्शाता है।
इंद्रेश उपाध्याय के पिता, श्री कृष्ण चंद शास्त्री, जो स्वयं भी एक वरिष्ठ कथावाचक हैं, विवाह से लगभग एक महीना पहले वृंदावन जाकर प्रेमानंद जी महाराज से मिले थे। यह माना जा रहा है कि उन्होंने इस दौरान महाराज जी को पुत्र के विवाह के लिए विनम्रतापूर्वक आमंत्रित भी किया होगा। हालांकि, उनके द्वारा लिए गए क्षेत्र संन्यास के कठोर नियम के कारण प्रेमानंद जी महाराज विवाह समारोह में शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हो पाए।
यह भी पढ़ें: पौष माह में कर लें बस ये पांच उपाय, फिर देखिए कैसे करवट लेगी किस्मत
लेकिन यह निश्चित है कि नवविवाहित युगल को प्रेमानंद जी महाराज का आध्यात्मिक आशीर्वाद और स्नेह हमेशा मिलता रहेगा। उनकी अनुपस्थिति का कारण कोई दूरी या नाराजगी नहीं, बल्कि उनके धार्मिक नियमों का कठोर पालन है, जिसने उन्हें ब्रज भूमि से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी। इंद्रेश उपाध्याय के विवाह को महाराज जी के पवित्र आशीर्वाद से परिपूर्ण माना जा रहा है।