गुरु को दान में दें ये चीजें (सौ.सोशल मीडिया)
सनातन धर्म में गुरु का स्थान ईश्वर के समान माना जाता है, और उन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान दर्जा दिया जाता है। गुरु अज्ञानता के अंधकार को दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं, और शिष्य को सही मार्ग दिखाते हैं। गुरुओं को समर्पित गुरु पूर्णिमा का पावन दिन हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस साल यह पावन तिथि 10 जुलाई 2025 को हैं।
ज्योतिष गुरु के अनुसार, इस दिन न सिर्फ अपने गुरु की पूजा की जाती है बल्कि वेदों के रचियता वेद व्यास जी की पूजा का भी विधान है।
कहते हैं कि गुरु पूर्णिमा का दिन दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन दिया गया दान डूबते करियर को पार लगाने, नौकरी में आ रही परेशानी से मुक्ति दिलाने और जीवन के तमाम कष्टों से छुटकारा दिलाने का काम करता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा पर कौन-कौन सी चीजें गुरु को दान में देनी चाहिए जिससे यह दिन और भी पुण्यमय बन जाए-
ज्योतिष बताते है कि, गुरु ज्ञान का स्रोत होते हैं, इसलिए धार्मिक ग्रंथ जैसे भगवद्गीता, उपनिषद, रामायण, या ध्यान साधना की पुस्तकें उन्हें दान करना शुभ होता हैं। यह दान न केवल गुरु की प्रसन्नता का कारण बनता है बल्कि शिष्य के जीवन में आत्मिक उन्नति लाने वाला होता हैं।
कहा जाता है कि, गुरु पूर्णिमा के दिन पीले वस्त्रों का दान करना बड़ा शुभ माना गया है क्योंकि यह ज्ञान, पवित्रता और समर्पण का प्रतीक होता है। गुरु को पीले वस्त्र जैसे धोती, अंगवस्त्र या कुर्ता दान करना अत्यंत पुण्यदायक होता है। इससे गुरु प्रसन्न होकर अपने शिष्य को आशीर्वाद स्वरूप ज्ञान, शक्ति और सफलता प्रदान करते हैं।
गुरु पूर्णिमा का पावन दिन गुरुओं को समर्पित दिन होता हैं। इस दिन गुरु को सात्विक आहार जैसे ताजे फल, सूखे मेवे, और गौ-दुग्ध से बनी मिठाइयां अर्पण करें। यह दान न केवल स्वास्थ्यवर्धक होता है बल्कि इसमें श्रद्धा और सेवा-भावना समाहित होती है। फल, अन्न और मिठाई का दान शास्त्रों में विशेष फलदायक बताया गया है।
जैसा कि आप जानते है कि गुरु दक्षिणा के बिना विद्या, “पूर्ण” नहीं मानी जाती, यह एक पारंपरिक भारतीय मान्यता है। इसका अर्थ है कि गुरु से प्राप्त ज्ञान और शिक्षा का फल, गुरु दक्षिणा दिए बिना पूरी तरह से प्राप्त नहीं होता है। गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु को यथाशक्ति दान कर सकते है। दक्षिणा के रूप में आप धन, वस्त्र, अन्न या सोने-चांदी आदि दे सकते है।
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गुरु को जलपान या पूजा हेतु चांदी या ताम्र पात्र यानी गिलास, लोटा, थाली देना बेहद शुभ माना गया है। यह दान आयु, सौभाग्य और पुण्य में वृद्धि करता है। चांदी शुद्धता और चंद्रमा की शीतलता का प्रतीक है जो गुरु की शांति और करुणा को प्रकट करता है।