महाकुंभ के दौरान बच्चों का रखें ख्याल (सौ.सोशल मीडिया)
Mahakumbh 2025: देश का सबसे बड़ा धार्मिक समागम महाकुंभ का आगाज उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में होने जा रहा है वहीं पर इस आयोजन में शामिल होने के लिए साधु-संत और श्रद्धालु पहुंचने लगे है। नागा साधु, महाकुंभ में सबसे ज्यादा प्रमुख और आकर्षण का केंद्र बने रहते है जिनका शाही स्नान सबसे पहले होता है। महाकुंभ में शाही स्नान करने से पहले नागा साधु 17 श्रृंगार करते है इसका अलग महत्व होता है। इस महाकुंभ में नागा साधुओं की जीवन शैली और पहनावा सब लोगों से अलग होता है चलिए जानते है कौन से किए जाते हैं श्रृंगार…
देश के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में दौरान नागा साधु सबसे पहले शाही स्नान करते हैं। धर्म के प्रति नागा साधुओं की निष्ठा को देखते हुए सम्मानपूर्वक नागा अखाड़ों को प्रथम स्नान की अनुमति दी जाती है। यहां पर शाही स्नान करने के दौरान नागा साधु इस प्रकार के 17 श्रृंगार करते है और उसके बाद पवित्र डुबकी लगाते हैं।
1- भभूत
2- लंगोट
3- चंदन
4-पैरों में कड़ा (चांदी या लोहे का)
5-पंचकेश
6-अंगूठी
7-फूलों की माला (कमर में बांधने के लिए)
8-हाथों में चिमटा
9- माथे पर रोली का लेप
10- डमरू
11- कमंडल
12- गुथी हुई जटा
13- तिलक
14-काजल
15- हाथों का कड़ा
16- विभूति का लेप
17- रुद्राक्ष
आपको बताते चलें कि, नागा साधु, महाकुंभ में बेहद खास स्थान रखते है इस दौरान वे 17 श्रृंगार करते है। वहीं पर सत्रह श्रृंगार करके नागा साधु इस दौरान पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं। महाकुंभ के दौरान ही 12 साल के कड़े तप के बाद नागा साधुओं की दीक्षा भी पूर्ण होती है। यहां पर पूजा के दौरान नागा साधु महाकु्ंभ में तब डुबकी लगाते हैं जब उनकी साधना पूरी होती है और उनका शुद्धिकरण हो चुका होता है। इसके ठीक उलट आम लोग गंगा में डुबकी लगाने के बाद शुद्ध होते हैं।
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आपको बताते चलें कि, महाकुंभ में 13 जनवरी से महाकुंभ का आगाज होने वाला है यहां पर पहला शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन किया जाएगा। इस दिन नागा साधु सबसे पहले पवित्र संगम में डुबकी लगाएंगे। इसके बाद ही आम लोग डुबकी लगाएंगे। महाकुंभ का यह पावन पर्व लगभग 44 दिनों तक चलेगा औऱ समाप्ति 26 फरवरी यानि महाशिवरात्रि पर होगी।सूत्रों के अनुसार, 2025 में महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में 35 से 40 करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगाएंगे।