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साल की आखिरी अमावस्या पर बन रहा दुर्लभ संयोग, जरूर करें ये काम, मिलेगा मनवांछित फल

Last Amavasya Of The Year:साल की आखिरी अमावस्या पर विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन स्नान-दान, पूजा और तर्पण करने से शुभ फल और सकारात्मक ऊर्जा मिलने की मान्यता है।

  • By सीमा कुमारी
Updated On: Dec 16, 2025 | 03:42 PM

अमावस्या पर बन रहा दुर्लभ संयोग (सौ.सोशल मीडिया)

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Amavasya Auspicious Timings: यूं तो अमावस्या तिथि सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। जब यह पावन एवं शुभ तिथि पौष मास में पड़ती है तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस साल की आखिरी पौष अमावस्या शुक्रवार, 19 दिसंबर को मनाई जा रही है। पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि सुबह लगभग 4:59 बजे से शुरू होकर अगले दिन 20 दिसंबर सुबह लगभग 7:12 बजे तक रहेगी।

यह तिथि हिंदू कैलेंडर के कृष्ण पक्ष की अंतिम अमावस्या है और इसे विशेष रूप से पितृ तर्पण, स्नान-दान, पूजा और श्रद्धा के लिए शुभ माना जाता है।

हिंदू लोक मान्यता के अनुसार, इस दिन स्नान, दान, तर्पण और जप का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों के किए गए कर्मों से प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में पौष अमावस्या पर बनने वाले शुभ योग और मुहूर्त का महत्व और भी बढ़ जाता है।

साल की आखिरी अमावस्या — पौष अमावस्या 2025

तारीख: 19 दिसंबर 2025 (शुक्रवार)

अमावस्या तिथि प्रारंभ: सुबह लगभग 4:59 बजे

अमावस्या तिथि समाप्त: 20 दिसंबर सुबह लगभग 7:12 बजे

इस दिन बनने वाले शुभ योग

पंचांग के हिसाब से इस अमावस्या पर कई शुभ योग और नक्षत्र बन रहे हैं, जो पूजा, तर्पण और स्नान जैसे धार्मिक कार्यों के लिए विशेष रूप से फलदायी माने जाते हैं। यह दिन सामान्य अमावस्या की तुलना में अधिक सकारात्मक माना जाता है।

शुभ मुहूर्त

पंचांग सुत्रों के अनुसार, स्नान-दान का शुभ समय: प्रातः लगभग 5:19 से 6:14 बजे तक

पितृ तर्पण का शुभ समय: लगभग दोपहर 12:00 से 3:00 बजे तक

ध्यान दें: ये समय आम पंचांग के हिसाब से दिए गए हैं; स्थानीय नगर/क्षेत्र के भीतर थोड़ी भिन्नता हो सकती है।

महत्व और धार्मिक मान्यताएँ

  • पितृ तर्पण और श्राद्ध

पौष अमावस्या को पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करना बेहद शुभ माना जाता है।

मान्यता है कि इस दिन किया गया तर्पण पितृ दोष को शांत करता है और घर-परिवार में शांति, सुख-समृद्धि लाता है।

  • स्नान और दान

किसी पवित्र नदी में स्नान करना और दान-पुण्य करना (खाद्य, वस्त्र, धन आदि) अत्यंत फलदायी मनाया जाता है।

  • सूर्य पूजा

इस दिन सूर्य देवता की पूजा भी शुभ फल देती है और स्वास्थ्य, ऊर्जा तथा सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि का माना जाता है।

  • नकारात्मक कर्मों से दूरी

अमावस्या पर क्रोध, झगड़ा, तामसिक भोजन व नकारात्मक गतिविधियों से बचना चाहिए, ताकि श्रद्धा और पुण्य का प्रभाव बढ़े।

ध्यान रखने योग्य बातें

इस दिन बाल-नाखून काटना, अनावश्यक विवाद, झगड़ा या नकारात्मक सोच वर्जित माना जाता है।

सांस्कृतिक मान्यताएँ स्थानीय परंपरा के अनुसार भिन्न हो सकती हैं, इसलिए अपनी पारिवारिक या मंदिर-पंचांग पर भी ध्यान दें।

यह भी पढ़ें- चेहरे के तिल में छुपा है किस्मत का राज, अनदेखी पड़ सकती है भारी  

अगर चाहें तो मैं आपको पूजा विधि और आसान तरीके से तर्पण/दान कैसे करें इसकी विस्तृत जानकारी भी दे सकता हूँ।

Last amavasya rare astrological yoga

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Published On: Dec 16, 2025 | 03:42 PM

Topics:  

  • Religion
  • Sanatana Dharma

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