सर्वपितृ अमावस्या पर करें वास्तु के ये 5 सरल उपाय (सौ.सोशल मीडिया)
Sarva Pitru Amavasya 2025 Actual Date: सनातन परंपरा में आश्विन मास की अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। ज्योतिषयों के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या से पितृपक्ष का समापन हो जाता है। जो इस बार 21 सितंबर को हो रहा है। इस दिन पितृपक्ष का समापन होता है और श्राद्ध, तर्पण तथा पिंडदान जैसे कर्मकांडों का अंतिम दिन माना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन पितरों को श्रद्धा और विधिवत पूजा के साथ विदाई दी जाती है। कहा जाता है कि, जिन लोगों को अपने पितरों के निधन की तिथि यानी डेट ज्ञात नहीं होती, वे इसी दिन सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर सकते हैं। यही कारण है कि यह दिन पूरे वर्ष में सबसे महत्वपूर्ण पितृ तिथि मानी जाती है।
इसके अलावा, ऐसा माना जाता है कि यदि आप इस दिन कुछ वास्तु उपाय आजमाएंगी तो आपके जीवन का कोई भी पितृ दोष दूर हो सकता है। आइए जानें उन आसान वास्तु उपायों के बारे में यहां विस्तार से।
ज्योतिषयों के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल पेड़ के नीचे दीपक जलाना बड़ा शुभ होता है। कहा जाता है कि पीपल के पेड़ पर पितरों और देवताओं का वास माना जाता है। इसके लिए आप सर्वपितृ अमावस्या को शाम के समय सूरज ढलने के बाद पीपल के पेड़ के नीचे तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है। यही नहीं ऐसा करने से आपके पितृ दोषों को दूर करने में भी मदद मिलती है। यदि आप प्रत्येक शनिवार को पीपल के पेड़ में जल चढ़ाती हैं तब भी आपको सभी पितृ दोषों से मुक्ति मिल सकती है।
ज्योतिष की मानें तो कौए को पितरों का संदेशवाहक माना जाता है। यदि आप सर्वपितृ अमावस्या के दिन सुबह-सुबह कौओं को भोजन और जल अर्पित करें साथ ही, गाय को गुड़ और रोटी खिलाएं तो इससे आपके घर के सभी वास्तु और पितृ दोष दूर हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि आपके ऐसा करने से पितर प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं और परिवार के सभी संकट दूर करते हैं।
कहते हैं, दक्षिण दिशा को यम और पितरों की दिशा माना जाता है। यदि आप सर्वपितृ अमावस्या को शाम के समय घर की दक्षिण दिशा में घी का दीपक जलाएं और साथ में पूर्वजों की शांति की प्रार्थना करें तो पितृ दोषों से मुक्ति मिल सकती है।
यदि आप दीपक के साथ कपूर के कुछ टुकड़े भी जलाएं तो आपको इसके लाभ मिलेंगे। यह उपाय पितरों को प्रसन्न करता है और घर के सभी नकारात्मक प्रभावों को दूर करता है।
सर्वपितृ अमावस्या पर मुख्य द्वार पर चारमुखी दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि इसे चारों दिशाओं में रोशनी फैलाने वाला दीपक कहा गया है। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और पितृ दोष दूर होता है।
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घर के ईशान कोण को ईश्वर का स्थान माना जाता है और सर्वपितृ अमावस्या के ठीक अगले दिन से ही शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है। इसी वजह से यदि आप उस दिन घर के ईशान कोण को यानी उत्तर-पूर्व दिशा को साफ करती हैं तो इससे आपके घर के वास्तु दोष दूर हो सकते हैं। यही नहीं इस उपाय से पूर्वज भी प्रसन्न होते हैं और घर में समृद्धि बनी रहती है।