व्रत टूटने पर ऐसे करें गलती का प्रायश्चित (सौ.सोशल मीडिया)
Chhathi Maiya Puja Prayaschit Niyam: पूरे देश भर में सूर्योपासना का लोकपर्व छठ बड़े ही धूमधाम एवं उत्साह के साथ मनाई जा रही है। आज 27 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य है। जिसमें अस्ताचलगामी सूर्य यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। कल उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा। इसके बाद चार दिवसीय अनुष्ठान यानी छठ पूजा संपन्न हो जाएगी।
जैसा कि आप सभी जानते है कि चार दिन तक चलने वाला यह नहाय-खाय से शुरू होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होता है। इस दौरान व्रती 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखकर सूर्यदेव और छठी मैया से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
लेकिन, कई बार सेहत, कमजोरी या किसी और कारण से व्रत अधूरा रह जाता है, ऐसे में लोगों के मन में डर होता है कि क्या छठी मैया नाराज होंगी? चलिए जानते हैं कि पूजा के नियमों के अनुसार किसी कारणवश व्रत टूटने पर किस तरह से प्रायश्चित किया जाए, ताकि इसका आप पर कोई दोष न लगे।
छठ महापर्व में छठी मैया की पूजा के साथ ही सूर्य देव की भी उपासना की जाती है। इस पर्व को सूर्य की आराधना का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। इस दौरान महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं और चौथे दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं। यह पर्व शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि के साथ सूर्य की दिव्य ऊर्जा को ग्रहण करने का माध्यम है। इस दौरान भक्त सूर्यास्त और सूर्योदय दोनों समय अर्घ्य दिया जाता है।
चार दिवसीय छठ पूजा महापर्व के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन उपवास, तीसरे दिन निर्जला उपवास और चौथे दिन पारण होता है। यह 36 घंटे का कठिन व्रत मन, शरीर और आत्मा को तपाकर शुद्ध करता है।
लेकिन अगर किसी मजबूरी, बीमारी या कमजोरी की वजह से व्रत अधूरा रह जाए, तो इसे लेकर डरने होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि आप छठी माई से क्षमा याचना करके दोबारा व्रत का संकल्प ले सकते हैं। इसके लिए धर्मशास्त्रों में कुछ नियम बताए गए हैं।
शस्त्रों में ये भी बताया गया है कि निर्जला व्रत टूट जाने की स्थिति में प्रायश्चित करना चाहिए. सबसे पहले स्नान करना चाहिए. इसके बाद शांत मन से छठी मैया के सामने दीप जलाना चाहिए।
क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए सच्चे मन में कहना चाहिए “हे छठी मैया, मुझसे अनजाने में भूल हुई है, कृपा करके मुझे क्षमा करें।” इसके बाद पंडित से सलाह लेकर दान भी कर सकते है छठी मैया मां स्वरूप मानी जाती हैं।
ये भी पढ़ें-आज छठ पूजा का पहला अर्घ्य, नोट करें संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि
कहा जाता है मां अपने बच्चों से कभी नाराज नहीं होती हैं। निश्छल एवं सच्चे मन से की गयी भक्ति से छठी मैया प्रसन्न होती है और अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।