पार्थिव शिवलिंग पूजा (सौ.सोशल मीडिया)
Sawan Parthiv Shivling Puja : सावन का पावन महीना शुरू हो गया है। सावन महीना शुरु होते ही शिवलायों में भक्तों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। हर मंदिर में इस समय हर हर महादेव के जयकारे गूंज रहे हैं। जैसा कि आप जानते है कि, सनातन परंपरा में भगवान शिव की पूजा कई प्रकार से की जाती है। कोई उनकी मूर्ति की पूजा करता है, तो कोई शिवलिंग की पूजा करता है, तो कोई पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करता है।
ज्योतिषयों के अनुसार, जिस प्रकार से गंगा सभी नदियों में श्रेष्ठ है, उसी प्रकार से पार्थिव लिंग सभी लिंगों में सर्वश्रेष्ठ है। मान्यता है कि इसके प्रभाव से घर में खुशहाली आती है साथ ही धन, सुख, समृद्धि का आगमन होता है।
सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा के कुछ नियम हैं, इनका पालन न करने वाले पुण्य की जगह पाप के भागी बनते हैं। आइए जानते हैं सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा से जुड़े नियम के बारे में-
शिवपुराण के अनुसार, पार्थिव शिवलिंग की पूजा सबसे पहले कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने किया था। ये भी माना जाता है कि भगवान राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले रावण पर विजय प्राप्ति के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा की थी।
हिन्दू धर्म में पार्थिव शिवलिंग सभी लिंगों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। माता पार्वती ने भी मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की थी। कहते हैं, इस शिवलिंग की पूजा से महादेव जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं।
ऐसी मान्यता है कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और यह आपके जीवन को सफल, सुखी, और समृद्ध बनाता है।
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इस शिवलिंग की पूजा से न केवल मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, बल्कि सपरिवार पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधि-विधान से पूजा करने पर पूरा परिवार सुखी रहता है। किसी रोग से पीड़ित व्यक्ति यदि पार्थिव शिवलिंग के समक्ष महामृत्युंजय मंत्र का जाप करता है, तो वह रोग मुक्त हो जाता है।