भगवान श्रीगणेश (सौ.सोशल मीडिया)
हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा करने से शुभ फल मिलते हैं तो वहीं पर 10 दिनों के गणेशोत्सव की शुरुआत भी हो गई है। हर कोई जानते हैं भगवान अलग-अलग तरह से वाहनों की सवारी करते हैं। इसमें ही जहां पर शिव जी का वाहन नंदी को माना जाता है, वहीं मां दुर्गा का वाहन शेर को मानते हैं ऐसे में गणेश जी के वाहन छोटे से मूषक (चूहा) हैं। मूषक की सवार भगवान श्रीगणेशजी करते है। आखिर गणेशजी के वाहन मूषक महाराज कैसे बनें और क्या हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा चलिए जानते है…
यहां पर पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार की बात हैं इंद्र देव के दरबार में एक क्रोंच नामक गंधर्व था। जब इंद्र का दरबार चल रहा था, तो क्रौंच हंसी ठिठोली में लगा हुआ था, जिससे दरबार में बाधा उत्पन्न होने लगी। इतना ही नहीं, अपनी मस्ती में मस्त क्रौंच ने मुनि वामदेव के ऊपर पैर रख दिया। इससे मुनिदेव क्रोधित हो उठे और क्रौंच को चूहा बनने का श्राप दे दिया। चूहा बनने के बाद भी वह नहीं सुधरा और उसने पराशर ऋषि के आश्रम में बहुत उत्पात मचाया। इस प्रकार मचे उत्पात से परेशान होकर मुनिदेव भगवान गणेश जी के पास पहुंचे और उन्हें सारी बातें बता दी। इसके बाद भगवान गणेश ने उस उत्पाती चूहे को सबक सिखाने के लिए पाश फेंका, जिसमें वह फंस गया। इसके बाद वह गणेश जी से क्षमायाचना करने लगा, जिससे गणेश जी को उसपर दया आ गई और उन्होंने उसे अपना वाहन बना लिया।
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यहां पर इस पौराणिक कथा के बाद यह अर्थ समझ आया कि, भगवान गणेशजी कमजोर औऱ दुर्बलों पर कृपा करते हैं। इस वजह से ही मूषक पर उनकी कृपा बनी रहीं औऱ उन्होंने मूषक महाराज को अपने वाहन के रूप में चुन लिया। इतना ही नहीं छोटे से मूषक को गणेशजी ने ही ताकतवर बनाया जिससे वह भार उठा सकते है। इस प्रकार ही गणेश जी को अगर आप अपने वाहन बनाते हैं तो इस बात की सीख मिलती हैं कि, हमें किसी भी व्यक्ति को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए हर किसी में अपनी ताकत और भरपूर क्षमताएं है।