गरबा की उत्पत्ति (सौ. सोशल मीडिया)
Garba Dance in Navratri: शारदीय नवरात्रि का दौर जारी है। आज माता दुर्गा के पांचवें स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा के लिए दिन समर्पित है। नवरात्रि में माता के पूजन के अलावा व्रत और गरबा नृत्य का काफी महत्व होता है। गुजरात में सबसे ज्यादा उत्साह गरबा और डांडिया में रहता है। यहां पर हर वर्ग के लोग गरबा के रंग में रंगे नजर आते है। लेकिन आपको पता है कहां से और किस तरह से गरबा की उत्पत्ति हुई है।
यहां पर गरबा की बात की जाए तो, गरबा शब्द गर्भा से आया है जिसका अर्थ होता है गर्भ। इसे ऐसे समझें तो, यह सृष्टि आदि गर्भ, शक्ति के स्थान का प्रतिनिधित्व करता है, जहां से ब्रह्मांड ने जन्म लिया है। गरबा खेलने के दौरान केंद्र में एक दीपक रखा होता है। इस दिव्य ज्योति मां की आस्था का प्रतीक मानी जाती है तो वहीं पर अस्तित्व के गर्भ में स्थित एक शाश्वत प्रकाश है। यहां पर गरबा खेलते समय सभी लोग गोलाकार होकर नृत्य करते हैं, जो जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र का प्रतिनिधित्व करती है. दीपक के चारों और भक्त उसी तरह घूमते हैं, जिस प्रकार सभी ग्रह सूर्य के चारों और घूमते हैं।
नवरात्रि के दौरान गरबा का महत्व होता है जहां पर नवदुर्गा की पवित्र रातें होती है तो वहीं पर हर रात्रि का गरबा देवी के एक रूप के सम्मान के रूप में खेला जाता है। जिसमें साधक के भीतर की ऊर्जा को नृत्य के जरिए जगाती है। वहीं पर गरबा आनंदमय उत्सव का प्रतीक होता है। इस नृत्य में साधना का गुप्त रूप नजर आता है। वहीं पर आपका शरीर मंदिर बन जाता है और अनुष्ठान का काम नृत्य करता है और केंद्र में जल रही ज्योति देवता की भूमिका निभाती है।
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अगर आप गरबा नियमित रूप से करते है तो आपकी सेहत को कई तरह के फायदे मिलते है। इसे लेकर स्टडी में बताया है कि, अगर आप 60–90 मिनट तक लगातार गरबा करते है तो आपकी लगभग 300–400 कैलोरी बर्न होती है, जो हल्के कार्डियो वर्कआउट के बराबर है। गरबा करने के दौरान रिदमिक मूवमेंट और लगातार कदम उठाने से पैरों की मांसपेशियां, कोर और आर्म्स भी एक्टिव हो जाते है। कहते हैं कि, गरबा करने से हार्ट रेट बढ़ता है, ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और हृदय रोगों का जोखिम घटता है। 2022 की एक स्टडी में पाया गया कि मध्यम गति के नृत्य से सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 5–10 एमएमएचजी तक घट सकता है।