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इस दिवाली माता लक्ष्मी के भाग्य लक्ष्मी स्वरुप की होगी पूजा, जानिए नील कमल और शंख का महत्व

दिवाली केदिन माता लक्ष्मी और श्री गणेश की पूजा का विधान होता है। हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी के 8 रूपों का वर्णन किया गया है इसमें से इस बार दिवाली पर माता का कौन सा स्वरुप होगा और पूजा का नियम क्या है चलिए जानते है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Oct 30, 2024 | 10:19 AM

माता भाग्य लक्ष्मी की पूजा (सौ.सोशल मीडिया)

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Diwali 2024: दिवाली का त्योहार सबसे बड़े त्योहारों में से एक होता है इस दिन दीप जलाने के साथ ही घर-आंगन को रंगोली और दीपक से सजाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और श्री गणेश की पूजा का विधान होता है। हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी के 8 रूपों का वर्णन किया गया है इसमें इस बार माता लक्ष्मी के कौन से स्वरूप की पूजा की जाएगी इसके बारे में चलिए जानते है…

माता लक्ष्मी के हैं ये आठ स्वरूप

यहां पर माता लक्ष्मी के स्वरूपों की बात की जाए तो, शास्त्रों में माता लक्ष्मी के 8 स्वरुप आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, सन्तानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, भाग्य लक्ष्मी , विजयलक्ष्मी और विद्यालक्ष्मी बताए गए हैं। शास्त्रीय परंपरा के मुताबिक इस दिवाली माता लक्ष्मी के भाग्य लक्ष्मी स्वरुप की पूजा होगी।

भाग्यलक्ष्मी स्वरूप की होगी इस बार पूजा

इस बार माता लक्ष्मी के भाग्यलक्ष्मी स्वरूप की पूजा की जाएगी। इस स्वरूप को नील पद्मजा के नाम से जाना जाता है यानि माता नीलकमल पर सुशोभित होती है। यहां पर माता के इस स्वरूप की व्याख्या करें तो, उनके एक हाथ में शंख होगा तो दूसरे में अमृत से भरा कलश होगा. इसी प्रकार तीसरा हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में होगा. वहीं चौथे हाथ से माता अपने साधकों पर धन वर्षा करें। यहां नीलकमल की बात करें तो, पवित्रता, सुंदरता का परिचायक है और यह अपनी चमकदार पंखुड़ियां फैलाकर माता के लिए दिव्य आसन प्रदान करता है।

ये भी पढ़ें- इस बार दिवाली को मनाना हैं खास तो इन इको फ्रेंडली आइडियाज को रखें आप याद, आएगा भरपूर मजा

क्या होता हैं नील कमल और शंख का आध्यात्मिक महत्व

यहां पर नील कमल को लेकर आध्यात्मिक महत्व बताया गया है। नील कमल को यहां पर माता लक्ष्मी के मायके का साथी कहा गया है. इसी प्रकार जल से ही निकले शंख को माता लक्ष्मी का भाई माना गया है।नील कमल का महत्व इससे भी समझा जा सकता है कि यह भगवान नारायण के हाथ में भी नजर आता है। कहा ये भी जाता है कि, भगवान नारायण के हाथ में मौजूद कमलनाल से ही ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई, जिन्होंने सृष्टि की रचना की। विद्वानों के मुताबिक इस दिवाली माता लक्ष्मी का तेज उनके आठ स्वरुपों में से एक भाग्य लक्ष्मी यानी नील पद्मजा के रूप में प्रचंड हो रहा है. इसलिए माता की पूजा भी उनके गुण धर्म के हिसाब से होगी. इस स्वरूप में शंख से अभिषेक करने पर प्रसन्न होती है।

Goddess lakshmis bhagya lakshmi form will be worshiped this diwali

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Published On: Oct 30, 2024 | 10:19 AM

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