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मृत्यु के नियम भी टूट गए! श्रीकृष्ण ने कैसे 9 लोगों को दिया जीवनदान?

Krishna's secrets: सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को लीला पुरुषोत्तम कहा गया है। उनके अनेक निर्णय ऐसे रहे हैं, जो पहली नजर में काल और प्रकृति के नियमों के विरुद्ध प्रतीत होते हैं।

  • By सिमरन सिंह
Updated On: Dec 16, 2025 | 05:35 PM

Krishna ने किया था इन लोगों को जिंदा। (सौ. Pinterest)

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Krishna’s Mahabharata Stories: सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को लीला पुरुषोत्तम कहा गया है। उनके अनेक निर्णय ऐसे रहे हैं, जो पहली नजर में काल और प्रकृति के नियमों के विरुद्ध प्रतीत होते हैं, लेकिन हर घटना के पीछे एक गूढ़ आध्यात्मिक रहस्य छिपा है। शास्त्रों के अनुसार, एक बार मृत्यु प्राप्त होने के बाद किसी भी जीव का पुनः जीवन में लौटना संभव नहीं माना जाता, लेकिन श्रीकृष्ण ने अपने समय में न केवल अश्वत्थामा को अमरता का श्राप दिया, बल्कि 9 लोगों को मृत्यु के बाद भी जीवनदान दिया। आइए जानते हैं वे कौन थे और इसके पीछे क्या कारण था।

गुरु दक्षिणा निभाने के लिए यमलोक से वापसी

भगवान श्रीकृष्ण जब उज्जैन में सांदीपनि आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, तब गुरु दक्षिणा का समय आया। उनके गुरु ने अपने पुत्र को वापस लाने की इच्छा जताई, जिसे एक असुर उठा ले गया था। श्रीकृष्ण ने गुरु को वचन दिया “मैं आपके पुत्र को जीवित वापस लाऊंगा।” खोज के दौरान पता चला कि गुरु पुत्र यमलोक पहुंच चुका है। अपने वचन की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण यमलोक गए और उसे वहां से जीवित वापस ले आए।

माता देवकी के छह पुत्रों को मिला पुनर्जन्म

कंस द्वारा मारे गए माता देवकी के छह पुत्रों को भी श्रीकृष्ण ने जीवनदान दिया था। उन्होंने देवकी और वासुदेव को उनके मृत पुत्रों से पुनः मिलवाया। यह घटना मातृत्व, करुणा और धर्म की सर्वोच्च मिसाल मानी जाती है।

अर्जुन को मृत्यु से लौटाया

अश्वमेघ यज्ञ के दौरान अर्जुन यज्ञ का घोड़ा लेकर मणिपुर पहुंचे, जहां उनका युद्ध मणिपुर नरेश वभ्रुवाहन से हुआ। इस युद्ध में अर्जुन वीरगति को प्राप्त हो गए। तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन की पत्नी उलूपी की नागमणि की सहायता से उसे पुनः जीवित किया।

ब्रह्मास्त्र से भी नहीं डिगा जीवन

महाभारत युद्ध के समय उत्तरा गर्भवती थीं और उनके गर्भ में अभिमन्यु का पुत्र पल रहा था। अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र चलाकर पांडव वंश को समाप्त करने का प्रयास किया। लेकिन श्रीकृष्ण ने गर्भ में पल रहे बालक की रक्षा की और उसे जीवनदान दिया। आगे चलकर यही बालक राजा परीक्षित कहलाया।

ये भी पढ़े: कर्म किसी को माफ नहीं करता, Premanand Ji Maharaj की कथा से मिला जीवन की सीख

बर्बरीक को मिला अद्भुत वरदान

भीम पुत्र घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक की गर्दन कट जाने के बाद भी श्रीकृष्ण ने उसे महाभारत युद्ध की समाप्ति तक जीवित रखा। आज वही बर्बरीक खाटू श्याम बाबा के नाम से पूजे जाते हैं।

नियम नहीं, धर्म सर्वोपरि

इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि श्रीकृष्ण के लिए नियम से अधिक धर्म, करुणा और वचन की रक्षा महत्वपूर्ण थी। उनके ये चमत्कार नहीं, बल्कि धर्म के गहरे सिद्धांतों का प्रतीक हैं।

Even the laws of death were broken how did lord krishna grant life to nine people

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Published On: Dec 16, 2025 | 05:35 PM

Topics:  

  • Lord Krishna
  • Sanatan Hindu religion

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