क्या है पाम संडे का महत्व (सौ. सोशल मीडिया)
Palm Sunday: ईसाई धर्म में क्रिसमस की तरह ही ईस्टर संडे का महत्व होता है जो इस बार 20 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस संडे से पहले ही आज से पाम संडे के मौके पर ईस्टर संडे सप्ताह की शुरूआत हो गई है। पाम संडे का महत्व ईसाई धर्म में खास तरीके से होता है जो यरुशलम में प्रभु यीशु के विजय का प्रतीक माना जाता है. यह घटना मृत्यु पर उनकी जीत का प्रतीक है।
ईस्टर संडे से पहले मनाए जाने वाले पाम संडे के मौके पर लोग ताड़ की शाखाएं पकड़कर प्रभु यीशु का स्वागत करते है। इसे अच्छाई और जीत का प्रतीक मानते है। पाम संडे के दिन ही यीशु के यरूशलेम में प्रवेश के समय जमीन पर रखी गई थी। इस दिन से जुड़ी खास जानकारी है चलिए जानते है इस दिन के पीछे की कहानी और महत्व।
आपको बताते चलें कि, पाम संडे से जुड़ी कहानी प्रचलित है इसके बारे में कम लोग ही जानते है। कहानी के अनुसार प्रभु यीशु के आगमन से पूर्व बाइबिल के एक पुराने संस्करण में एक भविष्यवक्ता जकर्याह ने भविष्यवाणी की थी कि एक मसीहा गधे पर सवार होकर आएगा. इसके बाद जब यीशु गधे पर सवार होकर यरूशलेम आये तो जकर्याह की भविष्यवाणी सच साबित हुई। यहां पर एक राजा और एक रक्षक होने के नाते गधे पर सवारी करना उनकी विनम्रता थी, वरना वह चाहते तो वायु वेग से उड़ने वाले घोड़े की सवारी करके आ सकते थे।
यीशु ने जब गधे पर सवार यरूशलेम में प्रवेश किया तो लोगों ने खुशी में अपने कपड़े उतारकर जमीन पर फैला दिये और खजूर की शाखाएं लहराते हुए होसन्ना होसन्ना चिल्लाया। यहां पर इसे भगवान की स्तुति कहते हैं, ऐसा इसलिए कि वह यीशु को अपना राजा मानते थे। उनका विश्वास था कि यीशु उनके परीक्षणों और कष्टों से मुक्ति और उम्मीद जगाएंगे। यीशु का यह आगमन फसह के दौरान हुआ था, फसह यहूदियों के लिए वह समय है, जब भगवान ने उन्हें मिस्त्र की गुलामी से मुक्त कराया था।
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यहां पर माना जाता है कि, पाम संडे के मौके पर जब प्रभु यीशु का गधे पर सवार होकर आना एक तरह से विनम्रता और सादगी का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि, प्रभु यीशु दुनिया की सेवा करने, प्यार करने और शांति लाने के लिए यरुसलेम आये थे, इसलिए इसे खुशी और कृतज्ञता के साथ मनाया जाता है। ईस्टर संडे के करीब आते ही पवित्र सप्ताह की शुरूआत होती है। कहते हैं कि, पाम संडे हमें प्रभु यीशु के बलिदान, विनम्रता, सादगी और पुनरुत्थान की याद दिलाता है।