पितृपक्ष में इन 6 स्थानों पर जलाएं दीपक (सौ.सोशल मीडिया)
Pitru Paksha Deepak 2025: सनातन धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है। यह समय पितरों की पूजा -पाठ के लिए समर्पित है। इस दौरान अपने पूर्वजों को याद कर उनका सम्मान करना हिंदू धर्म की एक सबसे अहम परंपराओं में से एक है।
ऐसी मान्यता है कि इन 15 दिनों के दौरान हमारे पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए तर्पण और श्राद्ध को स्वीकार करते हैं और अपने वंशजों आशीर्वाद देते हैं। हिन्दू मतों के अनुसार, पितृपक्ष का समय केवल तर्पण और श्राद्ध का पर्व नहीं है, बल्कि वह अवसर है जब हम दीपक जलाकर पितरों को स्मरण करते हैं।
शास्त्रों में उल्लेख है कि कुछ खास स्थानों पर दीपक जलाने से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और परिवार पर सौभाग्य बरसता है। ऐसे में आइए जानते हैं वे 6 स्थान जहां दीप जलाना विशेष फलदायी माना गया है-
ज्योतिषयों के अनुसार, घर में रखी पितरों की तस्वीरों के पास तिल या घी का दीपक जलाना पूर्वजों को सम्मान देने का सबसे सरल उपाय है। यह उन्हें तृप्त करता है और उनके आशीर्वाद से घर में शांति बनी रहती है।
कहते है पितृपक्ष के दौरान दक्षिण दिशा में चौमुखी दीपक जलाना भी बड़ा शुभ होता है। क्योंकि इस दिशा को यम और पितृलोक की दिशा कहा गया है। पितृपक्ष में चौमुखी दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर रखने से पितृदोष शांत होता है और परिवार पर पितरों की कृपा बनी रहती है।
हिन्दू मतों के अनुसार, देवी-देवताओं और पितरों का वास पीपल में माना गया है। पितृपक्ष में पीपल के नीचे दीपक जलाने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और दुर्भाग्य दूर होकर सौभाग्य बढ़ता है।
ऐसी मान्यता है कि पितर जब घर आते हैं तो मुख्य द्वार से ही प्रवेश करते हैं। इसलिए पितृपक्ष की रातों में घर के दरवाजे पर दीपक जलाना शुभ माना गया है। यह न केवल पितरों को संतुष्टि देता है बल्कि घर की नकारात्मकता भी दूर करता है।
शास्त्रों के अनुसार, जल को जीवन और मृत्यु का माध्यम माना गया है। पितृपक्ष में नदी या तालाब के किनारे दीपक जलाने से पितरों की आत्मा को मार्गदर्शन मिलता है और उन्हें शांति प्राप्त होती है।
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पितृपक्ष में यदि किसी पवित्र स्थल, पीठ या श्मशान के पास दीपक जलाया जाए तो माना जाता है कि वहां से पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है। यह उपाय परिवार पर अनंत काल तक पितरों की कृपा बनाए रखने वाला माना जाता है।