कलश स्थापना के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां (सौ.सोशल मीडिया)
Chaitra Navratri 2025: कल,30 मार्च से चैत्र महीने नवरात्रि शुरू होने जा रही है। चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो देवी दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा का उत्सव है। चैत्र नवरात्रि पर चंद्र कैलेंडर के आधार पर मार्च या अप्रैल के महीनों में पड़ता है। इस दिन सनातन धर्म में हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्रि नौ दिनों तक चलता है। इस दौरान विधि अनुसार माता की पूजा की जाती है।
वहीं, पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना शुरू करने से पहले कलश स्थापना भी की जाती है। ज्योतिषयों के अनुसार, पहले दिन कलश स्थापना करते हुए दिशा, कलश का धातु, समय आदि का पूरा ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है।
नवरात्रि की पूजा में अगर कलश स्थापना कर रहे हैं और इसमें कुछ गलती हुई हो तो ऐसा करने पर माता दुर्गा रुठ जाती है। ऐसे में आइए जानें कि कलश स्थापना के समय कौन सी गलतियां करने से बचना चाहिए?
कलश स्थापना के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां
गलत दिशा में न करें कलश स्थापना
कलश स्थापना के समय वास्तु का पूरा पूरा ध्यान रखें। गलती से भी गलत दिशा में कलश स्थापना न करें। उत्तर या पूर्व दिशा में ही कलश को स्थापित करें। यह दिशा अति शुभ माना जाता है। अगर उत्तर-पूर्व की दिशा नहीं मिल पा रही है तो उत्तर दिशा या पूर्व दिशा की ओर कलश को स्थापित कर सकते हैं।
गलत धातु का कलश न चुनें
कलश स्थापना में सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी के कलश का उपयोग करना शुभ माना जाता है। इससे अलग किसी धातु का उपयोग करने से बचना चाहिए।
एक जगह से दूसरी जगह कलश न हटाएं और न हिलाएं
ध्यान रहै कि एक बार जहां पर कलश स्थापित कर दिया गया हो वहां से कलश को कतई न हटाएं, ना ही नौ दिनों तक कलश को गलती से भी हिलाएं। ऐसा करना अपशगुन होता है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
इन सब से अलग स्थापना करते समय शुभ मुहूर्त का जरुर ध्यान रखें। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 30 मार्च को घटस्थापना समय सुबह 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट तक है।
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इसके बाद अभिजीत मुहूर्त 12 बजकर 01 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक है। आप इस समय में स्नान-ध्यान कर कलश स्थापना कर सकते हैं।