भगवान विष्णु ने क्यों लिया था कुबेर जी से उधार
नई दिल्ली: धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी के साथ कुबेर देव की भी पूजा की जाती है। माना जाता है कि इससे व्यक्ति को जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं होगी। कुबेर देव को देवताओं के खजाने का संरक्षक माना जाता है। कुबेर रावण के सौतेले भाई हैं। पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन ऐसा हुआ कि भगवान विष्णु को कुबेर देव से धन उधार लेना पड़ा।
पौराणिक कथा के अनुसार, उनके मन में एक दिन विचार आया कि सर्वश्रेष्ठ त्रिदेवों कौन है बाद में, भगवान ब्रह्मा और भगवान शिव की परीक्षा लेने के बाद, वह भगवान विष्णु के पास आये। उन्होंने भगवान विष्णु को वैकुंठ धाम में विश्राम करते हुए देखा। वहां पहुंचते ही ऋषि भृगु ने भगवान विष्णु की छाती पर लात मारी। इस पर भगवान विष्णु उठे, विनम्रता से व्यवहार किया और ऋषि भृगु का सम्मानपूर्वक स्वागत किया। तब उन्होंने निर्णय लिया कि भगवान विष्णु ही सर्वोच्च त्रिमूर्ति हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार
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जब देवी लक्ष्मी ने ऋषि भृगु को भगवान विष्णु के साथ इस घटना करते देखा तो नाराज हो गई। जिसके बाद उन्होंने ऋषि भृगु को श्राप दिया कि अब से वो कभी भी ब्राह्मणों के पास नहीं जाएगी।इसके बाद ऋषि भृगु ने मां लक्ष्मी से वैकुंठ आकर कहा, लेकिन माता लक्ष्मी ने उनकी एक भी बात नहीं सुनी। देवी लक्ष्मी ने ऋषि भृगु से कहा कि जब भी कोई ब्राह्मण भगवान विष्णु की पूजा करेगा, तो वो इस श्राप से मुक्त हो जाएगा। लेकिन भगवान विष्णु के इस व्यवहार को देखकर देवी लक्ष्मी उनसे नाराज हो गईं और चली गईं।
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