शुक्र प्रदोष व्रत (सौ.सोशल मीडिया)
Shukra Pradosh Vrat 2025 Remedies: आज आश्विन माह का पहला यानी पितृ पक्ष में पड़ने वाला प्रदोष व्रत 19 सितंबर को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव संग मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है।
मान्यता है कि प्रदोष व्रत को विधि-विधान से करने पर महादेव अपने भक्त के सभी कष्टों को हर लेते हैं और उसे सुख-सौभाग्य प्रदान करते है। इस व्रत का महत्व तब और बढ़ जाता है जब यह शुक्रवार को पड़ता है और शुक्र प्रदोष व्रत कहलाता है। ऐसे में आइए शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त और इससे जुड़े उपाय के बारे में विस्तार से जानते हैं-
प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव संग मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है।
साथ ही त्रयोदशी तिथि पर व्रत रखा जाता है। इस व्रत का फल दिन अनुसार मिलता है। इसके लिए व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 सितंबर को देर रात 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का समापन 19 सितंबर को देर रात 11 बजकर 36 मिनट पर होगा।
शुक्र प्रदोष व्रत का पुण्यफल पाने के लिए इस दिन भगवान शिव के मंत्रों का जाप या फिर लिंगाष्टकं या फिर रुद्राष्टकं का विशेष रूप से पाठ करना चाहिए।
हिंदू मान्यता के अनुसार शुक्र प्रदोष के दिन महादेव के मंत्रों के साथ शुक्र देवता के मंत्रों का जाप करने पर सुख-सौभाग्य और वैभव में वृद्धि होती है।
शुक्र प्रदोष व्रत का पुण्यफल पाने के लिए इस दिन भगवान शिव की पूजा में सवा किलो अक्षत यानि बगैर खंडित चावल और उसके साथ गाय का दूध को अर्पित करना चाहिए।
मान्यता है कि इस उपाय को करने से व्यक्ति को धन-धान्य की प्राप्ति होती है और उसकी आर्थिक समस्याएं शीघ्र ही दूर होती हैं।
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यदि आप अच्छी सेहत की कामना से शुक्र प्रदोष का व्रत कर रहे हैं तो आपको इस दिन प्रदोष काल में महादेव को विशेष रूप से सूखा नारियल अर्पित करना चाहिए।