Mahabharat and Kalyug (Source. Social Media)
Mahabharat Ke Baad Kalyug Ki Shuruaat: भारत के प्राचीन इतिहास में महाभारत युद्ध और कलियुग की शुरुआत को लेकर सदियों से बहस होती रही है। परंपरागत हिंदू कालक्रम के अनुसार, महाभारत युद्ध के तुरंत बाद कलियुग का आरंभ माना जाता है और इसकी तिथि 3102 ईसा पूर्व बताई जाती है। इस दावे के पीछे सिर्फ धार्मिक मान्यताएं ही नहीं, बल्कि शिलालेख, पुराण, विदेशी यात्रियों के विवरण और खगोलीय गणनाएं भी मौजूद हैं।
सातवीं शताब्दी ईस्वी के चालुक्य राजा पुलकेसिन द्वितीय के ऐहोल शिलालेख को इस संदर्भ में बेहद अहम माना जाता है। इस शिलालेख के अनुसार, उस समय कलियुग के 3,735 वर्ष पूरे हो चुके थे और शक युग के 556 वर्ष चल रहे थे। जब इस गणना को शक युग (78 ईस्वी) से जोड़ा जाता है, तो यह स्पष्ट रूप से कलियुग की शुरुआत को 3102 ईसा पूर्व की ओर संकेत करता है। यही वह तिथि है जिसे पारंपरिक हिंदू कालक्रम स्वीकार करता है।
चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने 630–643 ईस्वी के बीच भारत यात्रा के दौरान राजा हर्ष का उल्लेख किया है, जो पुलकेसिन द्वितीय के समकालीन थे। इससे ऐहोल शिलालेख की तिथि की पुष्टि होती है। वहीं, यूनानी इतिहासकार मेगास्थनीज के ग्रंथ इंडिका में भारत के अत्यंत प्राचीन राजवंशों का वर्णन मिलता है, जिनकी कुल अवधि हजारों वर्षों में फैली बताई गई है। यह संकेत देता है कि भारतीय कालक्रम किसी एक युग में गढ़ा गया कृत्रिम ढांचा नहीं था।
कुछ आधुनिक इतिहासकारों ने वराहमिहिर की बृहत्संहिता और कल्हण की राजतरंगिणी के आधार पर महाभारत युद्ध को कलियुग से सैकड़ों वर्ष बाद रखने की कोशिश की। हालांकि, विद्वानों का एक बड़ा वर्ग मानता है कि ये मत व्याख्या की त्रुटियों पर आधारित हैं। अलबरूनी ने भी अपनी इंडिका में स्वीकार किया है कि उनके समय तक कलियुग की शुरुआत को लेकर कोई मतभेद नहीं था।
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विष्णु पुराण, भागवत पुराण और ब्रह्म पुराण में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि “जिस दिन श्री कृष्ण ने पृथ्वी का त्याग किया, उसी क्षण कलियुग का प्रवेश हुआ।” पारंपरिक खगोलीय गणनाओं के अनुसार, फरवरी 3102 ईसा पूर्व में सात ग्रहों का विशेष संयोजन हुआ था, जिसे कलियुग के आरंभ से जोड़ा जाता है।
इतिहास, पुराण, शिलालेख और खगोलीय संकेत सभी मिलकर यही दर्शाते हैं कि महाभारत युद्ध और कलियुग की शुरुआत आपस में गहराई से जुड़े हैं। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर 3102 ईसा पूर्व में कलियुग का आरंभ और उससे कुछ वर्ष पूर्व महाभारत युद्ध होना, भारतीय परंपरागत कालक्रम का सबसे सुसंगत निष्कर्ष माना जाता है।