कांग्रेस के दिग्गज नेता और किसानों की बुलंद आवा रामेश्वर डूडी (फोटो- सोशल मीडिया)
कांग्रेस के दिग्गज नेता और किसानों की बुलंद आवाज़ रामेश्वर डूडी का 62 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह पिछले दो सालों से लंबी बीमारी से जूझ रहे थे। अगस्त 2023 में ब्रेन स्ट्रोक के बाद वह कोमा में थे और आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए। उनके निधन की खबर से पूरे राजस्थान में शोक की लहर दौड़ गई है। उनका अंतिम संस्कार उनके गृह नगर बीकानेर में किया जाएगा, जहां उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई देने के लिए इकट्ठा हो रहे हैं।
डूडी के निधन पर कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि रामेश्वर डूडी एक ऐसे नेता थे जिन्होंने हमेशा किसानों, मजदूरों और वंचितों के हक के लिए अपनी आवाज उठाई। उनके जाने से पार्टी और समाज को एक अपूरणीय क्षति हुई है, जिसे भर पाना मुश्किल होगा। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
1 जुलाई 1963 को जन्मे रामेश्वर डूडी ने अपना राजनीतिक सफर एक छात्र नेता के रूप में शुरू किया था। अपनी जमीनी पकड़ और नेतृत्व क्षमता के दम पर वह लगातार आगे बढ़ते गए। वह 1995 से 1999 तक नोखा के प्रधान रहे, जिसके बाद 1999 में बीकानेर से सांसद चुने गए और 2004 तक लोकसभा में जनता का प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान उन्होंने खाद्य, नागरिक आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण समिति के सदस्य के रूप में भी काम किया। राज्य की राजनीति में उनकी छाप तब और गहरी हुई जब वह 2013 से 2018 तक राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे। उनकी पत्नी सुशीला डूडी वर्तमान में कांग्रेस विधायक हैं और परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।
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अपने शानदार राजनीतिक करियर के दौरान डूडी ने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। वह 2005 से 2010 तक बीकानेर के जिला प्रमुख, 2013 में नोखा से विधायक और 2022 में राजस्थान राज्य एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे। इतने बड़े पदों पर रहने के बावजूद, उनके सहयोगी उन्हें हमेशा एक सरल और सहज नेता के रूप में याद करते हैं, जो ग्रामीण समाज से गहराई से जुड़े हुए थे। उनका पूरा जीवन किसानों और गरीबों के अधिकारों के लिए समर्पित रहा। बीकानेर के पूगल रोड बागीची मैदान में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनका निधन राजस्थान की राजनीति, खासकर किसान आंदोलनों के लिए एक युग का अंत है।