पंजाब के सीएम भगवंत मान (सोर्स-सोशल मीडिया)
चंडीगढ़ : पंजाब और उसके पड़ोसी राज्यों के बीच जल विवाद एक बार फिर गरमा गया है। इसी लेकर पंजाब की मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कल यानी 2 मई को सुबह 10 बजे पंजाब भवन में सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
इस बैठक में पंजाब के जल अधिकारों पर चर्चा होगी और केंद्र सरकार द्वारा पानी के बंटवारे को लेकर उठाए गए कदमों पर रणनीति बनाई जाएगी। पंजाब सरकार सोमवार को विधानसभा का विशेष सत्र भी बुला सकती है, जिसमें जल संकट पर प्रस्ताव लाया जाना तय माना जा रहा है।
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने स्पष्ट कहा है कि इस मुद्दे पर वे पंजाब सरकार के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा, “हमने कभी किसी का पानी रोका नहीं, लेकिन अगर पंजाब में जल संकट है, तो हम पहले अपने राज्य को प्राथमिकता देंगे। हरियाणा और दिल्ली को उनकी हिस्से की पानी की आपूर्ति पहले ही की जा चुकी है। अगर हमारा ही पानी छीन लिया गया, तो पंजाब का क्या बचेगा?”
दूसरी ओर, दिल्ली सरकार के मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने आरोप लगाया कि पंजाब जानबूझकर राजनीतिक मकसद से हरियाणा और दिल्ली की पानी आपूर्ति रोक रहा है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “पंजाब सरकार दिल्ली में हार के बाद अब वहां जल संकट खड़ा करना चाहती है। यह एक घटिया राजनीति है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि दिल्ली सरकार लगातार हर घर तक स्वच्छ पानी पहुंचाने की कोशिश कर रही है और पंजाब जानबूझकर दिल्ली के लोगों से बदला ले रहा है।
इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह ने कहा, “दिल्ली मंत्री का बयान सफेद झूठ है। हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान पहले ही अपनी तय हिस्से की पानी ले चुके हैं। केवल पंजाब का कोटा बाकी रह गया है।”
वहीं, आप पंजाब अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने भाजपा सरकार पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) से पंजाब का पानी हरियाणा को देकर अन्याय कर रही है। उन्होंने इसे ‘एक और विश्वासघात’ करार दिया और कहा, “हमारे लिए पानी खून से भी ज्यादा कीमती है। पंजाब और इसकी 3 करोड़ जनता अब और अन्याय नहीं सहेगी।”
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शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने भी मुख्यमंत्री भगवंत मान के फैसले का समर्थन किया और कहा कि हरियाणा पहले ही अपने हिस्से का पानी इस्तेमाल कर चुका है, अब और पानी देना पंजाब के हक के खिलाफ है।