(कॉन्सेप्ट फोटो)
मुंबई: राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे तथा शरद पवार व अजित पवार के फिर से साथ आने की अटकलों के कारण पिछले लगभग दो महीनों से महाराष्ट्र का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। लोग राज्य की राजनीति में फिर से उथल-पुथल मचने की उम्मीदें लगा रहे हैं। लेकिन असमंजस में पड़े राज की उदासीनता और राज्य की राजनीति में उप मुख्यमंत्री अजित की एनसीपी की अच्छी स्थिति के अब इनके एक होने की अटकलों पर विराम लगता नजर आ रहा है।
महाराष्ट्र में लगभग तीन वर्षों से लंबित निकाय चुनाव अक्टूबर में होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव को हरी झंडी दिखा दी है। इस पृष्ठभूमि में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) व राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) तथा उप मुख्यमंत्री अजित पवार और शरद पवार की एनीसीपी के गठबंधन विलय की अटकलें बीते दो महीनों से चल रही हैं।
इन अटकलों को राज ठाकरे और शरद पवार के बयानों के बाद हवा मिलनी शुरू हुई। विधानसभा चुनाव 2024 में उद्धव ठाकरे गुट, मनसे और शरद पवार गुट का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था। चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) ने किसी तरह इज्जत और शरद पवार की एनसीपी (एसपी) ने अपना अस्तित्व बचाने भर की सीटें जीत भी ली थी लेकिन मनसे के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं।
अपने घर में अपने ही बेटे को चुनाव नहीं जिता पाने का अपमान राज को सहना पड़ा है। निकट भविष्य में होने वाले निकाय खासकर मुंबई मनपा के चुनाव में खासकर राज और उद्धव का सियासी भविष्य टिका है। ऐसी पृष्ठभूमि में राज ने महेश मांजरेकर के यू-ट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में उद्धव के साथ भविष्य में समझौते के संकेत दिए थे। दूसरी तरफ शरद पवार ने अजित के साथ समझौते के संकेत दिए थे।
राज-उद्धव और एनसीपी के दोनों गुटों के गठबंधन की अटकलों को लोगों ने गंभीरता के लिया क्योंकि राज ने कहा था कि महाराष्ट्र, मराठी जनता के मुद्दों के समक्ष हमारे बीच के विवाद और झगड़े बहुत ही तुच्छ हैं। महाराष्ट्र उससे बहुत बड़ा है। इस पर उद्धव ने सकारात्मक प्रतिसाद दिया था।
राज ठाकरे ने अपने नेताओं को विरोधी बयानबाजी नहीं करने की हिदायत दी थी तो वहीं आदित्य ठाकरे व संजय राउत गठबंधन के लिए राज से कई बार चर्चा की अपील कर चुके हैं। लेकिन राज ने हाल ही में दिए गए एक अन्य साक्षात्कार के दौरान ये कहकर यू टर्न ले लिया कि उनके बयान का गलत अर्थ लगाया गया था। माना जा रहा है कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के नेता व मंत्री उदय सामंत से मुलाकात के बाद राज ने अपना मन बदल लिया है।
इसी तरह अजित पवार की एनसीपी के सांसद व महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने दोनों गुटों के विलय की अटकलों की हवा निकाल दी। पार्टी के नरीमन पॉइंट स्थित प्रदेश कार्यालय में आयोजित पत्रकार परिषद में तटकरे ने कहा कि हमारे पास विलय का कोई प्रस्ताव नहीं है, न ही ऐसी कोई बात चल रही है। आज की तारीख में हमारे स्तर पर इस विषय पर कोई चर्चा ही नहीं है। फिर इस पर टिप्पणी करने का क्या मतलब?
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सुनील तटकरे ने कहा कि एनसीपी को विलय के संदर्भ में कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है और न ही हम कुछ ऐसा सोच रहे हैं। हम एनडीए का हिस्सा हैं और आगे भी रहेंगे, जो लोग इस विचारधारा के साथ चलना चाहते हैं, उनका पार्टी में स्वागत है। इसलिए विलय का कोई सवाल ही नहीं उठता।