अशोक गहलोत के जन्मदिन पर विशेष
Ashok Gehlot Birthday Special: राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत बहुत ही खास स्थान रखते हैं। तीन बार राजस्थान की बागडोर संभालने वाले गहलोत को राजनीति का जादूगर भी कहा जाता है। गहलोत राजस्थान के जोधपुर जिले के सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक हैं। आज गहलोत का 74वां जम्मदिन है। हालांकि इसबार उन्होंने पहलगाम हमले के चलते अपना जन्मदिन नहीं मनाने की घोषणा की है। कार्यकर्ताओं को भी निर्देश दिया है कि उनके जन्मदिन का सेलीब्रेशन न करें।
भारतीय राजनीति में 52 सालों से मजबूती के साथ टिके रहने वाले अशोक गहलोत ने राजनीतिक करिअर में कई उतार चढ़ाव भी देखे, लेकिन इसके बाद भी उनके कदम डगमगाए नहीं। यही वजह है कि अशोक गहलोत एक-दो नहीं बल्कि तीन बार राजस्थान के सिरमौर बने। उन्हें तीन बार जनता प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया जिसका उन्होेने कुशलता के साथ संचालन किया।
अशोक गहलोत ने अपना राजनीतिक सफर छात्र राजनीति से शुरू किया। उन्होंने 1973 में पहली बार एनएसयूआई (NSUI) के साथ राजनीतिक सफर की शुरुआत की। वर्ष 1973 से 1979 तक वह एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर कार्यरत रहे। इसके बाद उन्होंने 26 साल की उम्र में कांग्रेस ने सरदारपुरा से उन्हें टिकट दिया लेकिन यहां उनको हार का सामना करना पड़ा। हालांकि हार से गहलोत के कदम पीछे नहीं हटे बल्कि वह और मजबूती से राजनीति में सक्रिय हो गए।
गहलोत ने राजनीति में अपने पैर मजबूती से जमाए रखा और हार नहीं मानी। वर्ष 1980 में गहलोत ने सीधे लोकसभा चुनाव जीतकर विरोधियों की बोलती बंद कर दी। गहलोत ने पांच बार सांसद का चुनाव जीतकर झंडे गाड़ दिए। वर्ष 1980 के बाद 1984, 1991, 1996 और 1998 तक पांच बार उन्होंने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। पांच बार सांसद का चुनाव जीतने वाले अशोक गहलोत को उनकी सफलका का इनाम भी मिला और केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान मिला। तीन बार वह केंद्र में मंत्री पद पर कार्यरत रहे।
गहलोत ने राजस्थान की राजनीति में अहम योगदान दिया है। पांच बार के सांसद रहे गहलोत को जनता का प्यार हमेशा मिलता रहा जिसके चलते वह तीन बार मुख्यमंत्री भी रहे। उन्होंने 1998 से दिसंबर 2003 तक, फिर 2008 से दिसंबर 2013 तक और बाद में 2018 से दिसंबर 2023 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
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मुख्यंमत्री के तौर पर गहलोत की तीसरा कार्यकाल जो 2018 से दिसंबर 2023 तक रहा, वह काशी मुश्किलों भरा रहा। डिप्टी सीएम सचिन पायलट और उनके बीच तीखी तकरार होती रही। यहां तक कि पायलट ने मुख्यमंत्री गहलोत से बगावत कर दी। इस दौरान आलाकमान तक बात पहुंची और पायलट गुट के विधायक सरकार गिराने पर आमादा हो गई। आलाकमान भी गहलोत से सीएम पद छोड़ने को लेकर बातचीत करने लगी, लेकिन गहलोत अपने विधायकों के साथ डटे रहे। पायलट गुट के विधायकों की संख्या कम थी और गहलोत के विधायकों को अपने साथ जोड़ने में नाकामयाब रहे।