ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरूआत 7 जुलाई से होने जा रही है इस दिन को हिन्दू धर्म में बेहद खास माना जाता है। इस दिन भगवान जगन्नाथ की पूजा विधि-विधान से शुरू हो जाती है। हिंदू धर्म में इस उत्सव को पूरे 10 दिनों के लिए धूमधाम से मनाया जाता है। क्या आप जानते है भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के रथ में 16 पहिए क्यों होते है आखिर इनका रहस्य क्या होता है।
भगवान के रथ की बात की जाए तो, यात्रा के रथ में तीन रथ बनाए जाते है जिसमें एक पर भगवान जगन्नाथ, दूसरे पर बड़े भाई बलराम और तीसरे पर बहन सुभद्रा विराजमान होती हैं। इस रथ में 16 पहिए का महत्व खास होता हैं जहां पर जगन्नाथ भगवान के रथ का पहिया श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र का प्रतीक माना जाता है। जहां एक ओर रथ में 16 पहिये होते हैं, तो इसमें 16 तीलियां भी लगी रहती है।
माना जाता है कि, इन सुदर्शन चक्र में 16 तीलियों का महत्व है इस वजह से 16 पहिए रथ में लगे होते है। कहते हैं इन 16 तीलियां खास तौर पर दिव्य शक्तियों का प्रतीक मानी है तो वहीं पर भगवान श्री कृष्ण की आराध्य शक्ति श्री राधा रानी से ही उत्पन्न होना बताया गया है। इतना ही नहीं मान्यता यह भी है कि, श्री कृष्ण के अलावा, श्री राधा ही सुदर्शन धारण कर सकती हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्री कृष्ण एक बार सुभद्रा के कहने पर उन्हें भ्रमण पर लेकर निकले थे तब उस समय भ्रमण के दौरान रथ का पहिया टूट गया था। तब सुदर्शन चक्र ने पहिये का आकार लेकर स्वयं को सोलह पहियों में बांट लिया था और भगवान जगन्नाथ की यात्रा संपन्न कराई थी।
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि, एक कथा यह भी कहती है कि चूंकि श्री कृष्ण राधा के बिना एक क्षण भी नहीं रह सकते थे इसलिए कारण से उन्होंने राधा रानी शक्तियों से सज्ज सुदर्शन चक्र को पहिये के रूप में अपने पास स्थान दिया। इस वजह से जगन्नाथ यात्रा के ऱथ में 16 पहियों का महत्व होता है।