सुषमा स्वराज के 12 अक्टूबर 1998 को मुख्यमंत्री कुर्सी संभालने के बाद 3 दिसंबर 1998 को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी, क्योंकि जनता ने कांग्रेस पार्टी को बहुमत दिया था। तब से दिल्ली में दोबारा बीजेपी को सत्ता नहीं मिली है।
भारतीय जनता पार्टी (सोर्स-सोशल मीडिया)
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साल 1998 के अंत में दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही थी। उस वक्त प्याज के दाम आसमान छू रहे थे। 60 से 80 रुपये प्रति किलो इसकी कीमत पहुंच गई। जनता बहुत नाराज थी। भारतीय जनता पार्टी ने कई दांव खेले लेकिन सब नाकाम रहे। (फोटो-सोशल मीडिया)
1993 के विधानसभा चुनाव में जब दिल्ली की जनता ने भारतीय जनता पार्टी को बहुमत दिया तो भारतीय जनता पार्टी ने उसे कार्यकाल में तीन मुख्यमंत्री बनाने पड़े एक के बाद एक मुख्यमंत्री हटाए जाने से भी दिल्ली की जनता नाराज थी और सुषमा स्वराज भारतीय जनता पार्टी की आखिरी मुख्यमंत्री साबित हुईं। (फोटो-सोशल मीडिया)
1993 में मिली जीत के बाद सबसे पहले पार्टी ने मदनलाल खुराना को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी। लेकिन वह 2 दिसंबर 1993 से लेकर 26 फरवरी 1996 तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे। इसके बाद उन्हें कुर्सी से हटा दिया गया। (फोटो-सोशल मीडिया)
26 फरवरी 1996 के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी दिल्ली के कद्दावर जाट नेता कहे जाने वाले साहिब सिंह वर्मा को दिए गए वह 26 फरवरी 1996 से लेकर 12 अक्टूबर 1998 तक मुख्यमंत्री कुर्सी पर विराजमान रहे। (फोटो-सोशल मीडिया)
बाद में पार्टी के अंदर विरोध तथा चुनाव में अपनी पतली हालत देखकर भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव के कुछ समय पहले मुख्यमंत्री बदल दिया और पार्टी की कमान सुषमा स्वराज को सौंप दीं। भारतीय जनता पार्टी का महिला कार्ड भी काम नहीं आया। (फोटो-सोशल मीडिया)
सुषमा स्वराज के 12 अक्टूबर 1998 को मुख्यमंत्री कुर्सी संभालने के बाद 3 दिसंबर 1998 को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी, क्योंकि जनता ने कांग्रेस पार्टी को बहुमत दिया था और उसके बाद शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को लगातार तीन कार्यकाल मिले। (फोटो-सोशल मीडिया)