अपने देश के लिए ओलंपिक ध्वजवाहक होना हर एथलीट के लिए एक सम्मान की बात होती है। उनके लिए ये उतने ही गर्व की बात है, जितना वह पदक जीतते समय करते हैं। ग्रीष्मकालीन खेलों में एक देश का ध्वजवाहक राष्ट्र के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है और इसे ओलंपिक आदर्शों के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
ओलंपिक (सौजन्य- सोशल मीडिया)
कुल मिलाकर, 18 भारतीय एथलीटों ने ओलंपिक में ध्वज वहन किया है, जिनमें से 8 ओलंपिक पदक विजेता हैं। हॉकी खिलाड़ियों ने सबसे अधिक बार (6 बार) ध्वज वहन किया है।
इस बार 2024 के पेरिस ओलंपिक में बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु (बैडमिंटन) और उनके साथ टेबल टेनिस खिलाड़ी शरत कमल ओलंपिक में ध्वजवाहक की भूमिका में नजर आएंगे।
2020 के टोक्यो ओलंपिक में मुक्केबाजी खिलाड़ी एमसी मेरी कॉम और हॉकी खिलाड़ी मनप्रीत सिंह ने ध्वजवाहक की भूमिका निभाई थी।
2016 के रियो ओलंपिक में शूटिंग में अभिनव बिंद्रा ने तो 2012 के लंदन ओलंपिक में कुश्ती खिलाड़ी सुशील कुमार ने ध्वजवाहक के रूप में थे।
शूटिंग प्लेयर राज्यवर्धन सिंह राठौड़ 2008 के बीजिंग ओलंपिक में तो एथलेटिक्स में अंजू बॉबी जॉर्ज ने 2004 के एथेंस ओलंपिक में ध्वज संभाला था।
1996 के अटलांटा और 2000 के सिडनी ओलंपिक में टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस ने वहीं 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में एथलेटिक्स शाइनी अब्राहम-विल्सन ने ओलंपिक में ध्वज संभाला था।
1980 के मास्को और 1984 के लॉस एंजिलिस ओलंपिक में हॉकी खिलाड़ी ज़फर इकबाल ने वहीं 1964 टोक्यो ओलंपिक में एथलेटिक्स खिलाड़ी गुरबचन सिंह रंधावा ने ओलंपिक में ध्वज संभाला था।
ओलंपिक में हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर नें तीन बार 1948, 1952 और 1956 ओलंपिक में भारत के लिए ध्वजवाहक बनने का सम्मान प्राप्त किया हैं।
ओलंपिक में हॉकी खिलाड़ी 1936 के बर्लिन ओलंपिक में तो वहीं 1932 लॉस एंजिलिस ओलंपिक में हॉकी खिलाड़ी लाल शाह बोखारी ने ध्वजवाहक के रूप में भूमिका निभाई थी।
वहीं सबसे पहले 1920 के एंटवर्प ओलंपिक में एथलेटिक्स एथलीट पुर्मा बनर्जी तो वहीं 1948 लंदन ओलंपिक में फुटबॉल खिलाड़ी डॉ. तालीमेरेन आओ ने ओलंपिक में भारत के लिए ध्वजवाहक की भूमिका निभाई थी।